Acn18.com/बम-धमाकों की आवाज से गूंजने वाले दंतेवाड़ा के युवाओं की अब जल्द तकदीर बदलने वाली है। बारूद के ढेर में पले-बढ़े युवा अब बम और बंदूक नहीं बल्कि हाईटेक टेक्नोलॉजी से सॉफ्टवेयर बनाना सीखेंगे। नक्सलगढ़ के युवा हाथों में लैपटॉप और कंप्यूटर थामेंगे।
इसके लिए जिला प्रशासन रहने-खाने से लेकर 18 महीने की फ्री कोचिंग करवाएगा। कोर्स पूरा होने के बाद 3 से 6 लाख रुपए सालाना पैकेज के हिसाब से नौकरी मिलेगी। ऐसा प्रयास करने वाला दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ का पहला जिला होगा।
दरअसल, छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर में बसे दंतेवाड़ा जिले की पहचान देशभर में नक्सलगढ़ के नाम से ही होती है। लेकिन, अब जिले की तस्वीर और युवाओं की तकदीर बदलने की तैयारी है। जिला प्रशासन ने नव गुरुकुल संस्था के साथ टाइअप किया है।
ये संस्था युवाओं को सॉफ्टवेयर बनाने का काम सिखाएगी। जिले के शहर से लेकर गांव तक के ऐसे ड्रॉप आउट बच्चे जिन्होंने किसी वजह से 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी है। नक्सल हिंसा से पीड़ित, पैसों की तंगी की वजह से पढ़ाई न कर पाना, रोजगार की तलाश में यहां-वहां भटकने वाले युवाओं को प्राथमिकता दी जा रही है।
अब जानिए कैसे हो रहा है पूरा काम…
दंतेवाड़ा कलेक्टर, विनीत नंदनवार ने बताया कि, जिला शिक्षा विभाग के सहयोग से बच्चों की सूची तैयार की जा रही है। इसके साथ ही जिले के गीदम, दंतेवाड़ा, बचेली, किरंदुल, कटेकल्याण में सेमिनार का भी आयोजन किया जा रहा है। जिससे युवाओं को सॉफ्टवेयर के बारे में बताया जा रहा है।
अब तक ड्रॉप आउट, 12वीं या ग्रेजुएशन कर चुके बेरोजगार 800 से ज्यादा युवाओं के आवेदन जिला प्रशासन को मिले हैं। इनमें धुर नक्सल प्रभावित चिकपाल, मारजुम, हिरोली समेत इंद्रावती नदी पार के युवाओं ने भी आवेदन किया है।
पहले 60 बच्चों का बैच होगा तैयार
शुरुआत में 60 बच्चों का एक बैच तैयार किया जाएगा। हालांकि, आवश्यकता के अनुसार संख्या बढ़ भी सकती है। इसके अलावा जिला प्रशासन ने जिले के ऐसे 4 से 5 स्थानीय बच्चों का भी चयन किया है जिन्होंने इसी फील्ड में काफी महारत हासिल की है। इसकी वजह है कि स्थानीय होने के कारण ये अन्य युवाओं को ब्रीफ करेंगे उसका सीधा असर पड़ेगा। जिला प्रशासन की तरफ से आयोजित होने वाले हर सेमिनार में ये भी शामिल हो रहे हैं। हालांकि, युवाओं को सॉफ्टवेयर बनाने का काम नव गुरुकुल संस्था के एक्सपर्ट सिखाएंगे।
जिनके आवेदन आए हैं उनका शुरुआत में टेस्ट भी लिया जाएगा। जावंगा एजुकेशन सिटी में 60 युवाओं के बैच का संचालन किया जाएगा। यहीं रहेंगे, 18 महीने की मुफ्त कोचिंग मिलेगी। इसके अलावा स्किल डेवलपमेंट भी सिखाया जाएगा।
नक्सलियों की टूटेगी कमर
कई ऐसे गांव हैं जहां के बच्चे पढ़ लिखकर आगे बढ़ना चाहते हैं। लेकिन नक्सलियों के दबाव में या फिर पैसों की तंगी की वजह से वे पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। ऐसे ही युवाओं को नक्सली बरगलाकर संगठन में शामिल कर लेते हैं। शुरुआती दौर में उन्हें सड़क काटना, IED प्लांट करना, बैनर-पोस्टर लगाना जैसे काम करवाते हैं।
फिर देसी बंदूक और बम बनाने की भी ट्रेनिंग देते हैं। लेकिन, अब जिला प्रशासन की इस नई पहल से युवा बम बनाना नहीं बल्कि सॉफ्टवेयर बनाना सीख सकेंगे। ऐसे में नक्सली संगठन में लाल लड़ाकों की भर्ती नहीं कर पाएंगे और उनकी कमर टूटेगी।