ACN18.COM कोरबा –“तुलसीदास कृत ‘रामचरितमानस’ में रेखांकित रामादर्श को समाज में मानवीय मूल्य स्थापना हेतु सारगर्भित और प्रभावी रूप में प्रयोग किया जा सकता है। रामादर्श से राष्ट्र कल्याण एवं रक्षा संरचना में मजबूती लाया जा सकता है। यद्यपि राम ‘रामचरितमानस’ का एक आदर्श पात्र के रूप में किसी व्यक्तिराजनीति या संगठन को प्राथमिकता न देते हुए समाज को सर्वोपरि मानते हैं और इसलिए रामादर्श के द्वारा समाज को सर्वतोन्नमुखी दिशा की ओर बढ़ाया जा सकता है। आज के भौतिकवादी युग में रामादर्श श्रेयस्कर हो सकता है, तब जबकि प्रत्येक व्यक्ति सकारात्मक दृष्टि से रामादर्श को अपनाने लगे। यद्यपि जन्म लेने वाला कोई भी व्यक्ति पूर्ण रूप से ज्ञान संपन्न और अंतिम नहीं हो सकता। उनमें भी गुण अवगुण पाए जाते हैं। किंतु गुणों का अधिक प्रकटीकरण करके समाज को आदर्श बनाया जा सकता है।
‘रामचरितमानस’ में रामादर्श के द्वारा भारतीय राष्ट्र दर्शन प्रतिबंधित हो सकता है और इसलिए रामादर्श को मानव समाज के कल्याणार्थ प्रयोग किया जा सकता है।” उक्त उद्गार त्रिभुवन विश्वविद्यालय नेपाल(हिंदी विभाग) एवं साहित्य संचयन संवाद फाउंडेशन दिल्ली (भारत) के संयुक्त तत्वावधान में 10 एवं 11जून को आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में संगोष्ठी के द्वितीय दिवस के आमंत्रित ‘प्रमुख वक्ता’ के रूप में अंतर्राष्ट्रीय अवॉर्डी प्रोफेसर प्यारेलाल आदिले प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री एवं प्राचार्य जे.बी.डी. कला एवं विज्ञान महाविद्यालय कटघोरा छत्तीसगढ़ (भारत) ने व्यक्त किया। सह वक्ता के रूप में डॉ.मनीषा कुमारी ने अपना विचार व्यक्त किया। 10,11 जून को नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित इस संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर कुलपति प्रो.कल्पलता पांडे,डॉ.श्वेता दीप्ति नेपाल उपस्थित थीं।।
इस संगोष्ठी में विभिन्न देश के विद्वान प्राध्यापकों ने भाग लिया। छत्तीसगढ़ से भाग लेने वाले प्रतिभागियों में हिंदी के विद्वान प्राध्यापक डॉ.शिवदयाल पटेल शासकीय महाविद्यालय बरपाली, छत्तीसगढ़ ने अपने शोध पत्र वाचन में कहा कि “रामचरितमानस में वैज्ञानिकता का पुट शत प्रतिशत देखने को मिलता है।जिस समय विज्ञान उन्नत नहीं हुआ था उस समय भी रामचरितमानस में उन्नत विज्ञान की बात वर्णित है।रामचरितमानस को वैज्ञानिक और व्यावहारिक आधार पर अनुसरण किया जा सकता है और समाज को विकास की राह पर अग्रसर किया जा सकता है।”
डॉ अरविंद जगदेव शासकीय महाविद्यालय शासकीय महाविद्यालय नगरदा,प्रो.फिरत बिंझवार,शासकीय महाविद्यालय जटगा,जिला कोरबा,डॉ. कुंज किशोर प्राचार्य शासकीय ज्योतिबा फुले उच्चतर माध्यमिक विद्यालय डोंगाकोहरोद सहित प्रो.सूर्यबाला मिश्रा,सवीना जहां, सोनू कुमार मिश्रा,डॉ.गोस्वामी, जैनेंद्र कुमार भारती,जुलांचो कुमारी,पूनम झा,मौसमी सिंह, दिल्ली राम शर्मा एवं विनोद कुमार विश्वकर्मा ने अपना शोधपत्र वाचन किया। इस संगोष्ठी में दिलबहादुर कुर्रे शिक्षक शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला पेंड्री जिला जांजगीर चांपा एवं सूरज बंजारे हसौद विशेष रूप से भाग लिये। संगोष्ठी के संयोजक श्री मनोज कुमार शर्मा एवं सह संयोजक संजय कुमार,राजस्थान थे।
कार्यक्रम का संपूर्ण संचालन डॉ.दिव्या मिश्रा प्राध्यापक, शासकीय ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय,रीवा मध्यप्रदेश ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ.सुमन रानी,सहायक प्राध्यापक,गोस्वामी गणेशदत्त सनातन धर्म महाविद्यालय, पलवल हरियाणा ने किया। अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापन प्रो.लक्ष्मी जोशी ने किया। उल्लेखनीय है कि “वैश्विक परिप्रेक्ष्य में राम और रामायण के स्वरूप” विषय पर आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लेने वाले प्रतिभागियों एवं आमंत्रित विशेष वक्ताओं को स्मृति चिन्ह, प्रमाण पत्र, पुस्तक और संगोष्ठी बेग इत्यादि भेंट करके सम्मानित किया गया। इस संगोष्ठी में विभिन्न देश के 240 शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र का वाचन किया।