इन दिनों मानसून ब्रेक के चलते देश के कई हिस्सों में सूखे जैसे हालात हैं। इसी ब्रेक की वजह से हिमाचल व उत्तराखंड में भारी बारिश हो रही है।
जुलाई और अगस्त सबसे ज्यादा बारिश वाले महीने हैं। इनमें मानसूनी ब्रेक आता है तो बादल पहाड़ों पर जमा हो जाते हैं और यहीं सबसे ज्यादा बारिश कराते हैं।
हिमाचल प्रदेश के शिमला के समर हिल इलाके में 14 अगस्त को भूस्खलन के बाद 4 दिन से रेस्क्यू और सर्च ऑपरेशन चल रहा है।
भारतीय सेना, एसडीआरएफ और पुलिस यहां बचाव कार्य में जुटी हुई है। लापता 21 लोगों में से अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश में इस साल मानसून सीजन में 7500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, जबकि 327 लोगों की जान गई है।
इनमें से 71 लोगों की मौत पिछले चार दिन में हुई है। राज्य सरकार ने केंद्र से 6600 करोड़ रुपए की मदद की मांग की है।
हिमाचल के कांगड़ा में एयरफोर्स लोगों को हेलिकॉप्टर की मदद से रेस्क्यू कर रही है। 15 और 16 अगस्त को एयरफोर्स ने 780 लोगों को एयरलिफ्ट किया है।
हिमाचल में सेब उत्पादकों को 1000 करोड़ का नुकसान
हिमाचल में इस साल सेब उत्पादकों को 1000 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है। भारी बारिश से बागानों में तैयार हो रहे सेब गिर गए और उनका साइज भी छोटा हो गया। हिमाचल हर साल 24 से 28 किलो वजन के 3-4 करोड़ बॉक्स सेब का उत्पादन करता है। इस बार एक से 1.50 करोड़ बॉक्स बनने का ही अनुमान है।
अगर 7 दिन और बारिश नहीं हुई तो ये 51 साल का सबसे लंबा ब्रेक होगा
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन नैयर के मुताबिक, आमतौर पर मानसूनी ब्रेक एक हफ्ते तक चलता है। इस दौरान मानसूनी बादल रेखा हिमालय को छूते हुए गुजरती है। इस बार 6 अगस्त से अब तक ब्रेक के 11 दिन हो चुके हैं। इस कारण बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी और बादल लगातार दोनों राज्यों में जमा होते गए और यहीं बरस गए।
मौसम विभाग की मानें तो अगले 5-7 दिन मानसून ब्रेक जारी रहने के आसार हैं। ऐसा हुआ तो ये 51 साल का सबसे लंबा मानसून ब्रेक हो जाएगा। 1972 में 18 जुलाई से 3 अगस्त तक 17 दिन का सबसे लंबा मानसून ब्रेक रहा था। हालांकि जुलाई 2002 में 11 व 13 दिन के दो ब्रेक हुए थे, जो एक महीने में 24 दिन के मानसून ब्रेक का रिकॉर्ड है।