Acn18.com/छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में हुई पुलिस नक्सली मुठभेड़ को माओवादियों ने फर्जी बताया है। नक्सली लीडर्स का आरोप है कि पुलिस ने संगठन छोड़ चुके दो माओवादियों को घर से उठाया और उनको जंगल में लेकर गए, जहां उनका एनकाउंटर कर दिया। माओवादियों का कहना है कि जंगल में न तो पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई और न ही वहां पर उनके कोई और साथी थे। पुलिस ने मुठभेड़ की मनगढ़ंत कहानी बनाई है।
दरअसल नक्सलियों के दक्षिण बस्तर डिवीजन कमेटी के सचिव गंगा ने प्रेस नोट जारी किया है। गंगा ने कहा कि, लगभग 1 महीने पहले मड़कम एर्रा और पोडियम भीमे संगठन छोड़ चुके थे। दोनों दंतेशपुरम गांव में रहकर जीवन यापन कर रहे थे। लेकिन अचानक पुलिस गांव पहुंची। दोनों को घर से उठाया और जंगल ले जाकर गोली मार दी। गंगा ने प्रेस नोट के माध्यम से कहा कि, एर्रा LOS कमांडर था और पोडियम LOS की सदस्य थी।
गंगा ने बस्तर के IG और सुकमा के SP पर आरोप लगाया है कि, जब जंगलों में हमारी पार्टी के साथ पुलिस की मुठभेड़ हुई ही नहीं तो आखिर कैसे अफसर विस्फोटक सामान, हथियार बरामद कर लिए? यह एक तरह से पुलिस ने झूठी कहानी गढ़ी है।
पुलिस ने बताया था हुई थी मुठभेड़
दरअसल, पुलिस ने जानकारी दी थी कि, सुकमा जे भेज्जी थाना इलाके में नक्सलियों के साथ जवानों की मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में जवानों ने LOS कमांडर और महिला माओवादी को ढेर कर दिया। जवानों की टुकड़ी 8 लाख रुपए के इनामी माओवादी के आने की सूचना पर रवाना हुई थी। वहां से लौटने के दौरान ही माओवादियों ने फायरिंग कर दी। इसका जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया और 2 नक्सलियों को मार गिराया।
अफसरों ने कहा था कि, DRG, कोबरा, CRPF 219 के जवान अलग-अलग स्थानों से दंतेशपुरम के जंगल की ओर रवाना हुए थेl फोर्स को यह सूचना मिली थी कि LOS कमांडर और 8 लाख का माओवादी मड़कम एर्रा अपने कुछ नक्सली साथियों के साथ दंतेशपुरम के जांगल में मौजूद है। इसके बाद जब सोमवार सुबह जवानों की अलग-अलग टुकड़ी जंगल की तरफ से लौट रही थी, उसी दौरान नक्सलियों ने फायरिंग करनी शुरू कर दी। इस पर जवानों ने भी फायर खोल दिया। करीब आधे घंटे तक दोनों तरफ से फायरिंग हुई थी। उसके बाद माओवादी जंगल का सहारा लेकर भाग निकले।