रोजी रोटी के लिए भटके
मनोज तिवारी ने गायकी के दम पर अपनी अलग पहचान बनाई है। मनोज तिवारी ने इंटरव्यू के दौरान अपनी संघर्षों का भी खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि वह अपनी रोजी रोटी के लिए बहुत भटकते थे। फिर, वह लोधी रोड पर बरसाती में टी सीरीज के एक स्टूडियो में नौकरी पर लग गए और गुलशन कुमार ने उन्हें मौका दिया। यहां करीब वह तीन साल तक रहे। इसके बाद वह यमुना बाजार के पास एक आश्रम में काम करने लगे। वहां उन्होंने दूसरों के लिए रोटियां भी बनाई।
मनोज तिवारी ने गायकी के दम पर अपनी अलग पहचान बनाई है। मनोज तिवारी ने इंटरव्यू के दौरान अपनी संघर्षों का भी खुलासा किया था। उन्होंने बताया था कि वह अपनी रोजी रोटी के लिए बहुत भटकते थे। फिर, वह लोधी रोड पर बरसाती में टी सीरीज के एक स्टूडियो में नौकरी पर लग गए और गुलशन कुमार ने उन्हें मौका दिया। यहां करीब वह तीन साल तक रहे। इसके बाद वह यमुना बाजार के पास एक आश्रम में काम करने लगे। वहां उन्होंने दूसरों के लिए रोटियां भी बनाई।
करियर की शुरुआत
मनोज तिवारी ने अपने करियर की शुरुआत शीतला घाट के महावीर मंदिर और अर्दली बाजार से की थी। उन्होंने एक बार इसे मंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम में भक्ति गीत गाया था, लेकिन उस समय उन्हें चोट लग गई थी। यहां तक कि उनके सिर से खून भी बहने लगा था, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने गाना बंद नहीं किया। वह लगातार लोगों का मनोरंजन करते रहे।
मनोज तिवारी ने अपने करियर की शुरुआत शीतला घाट के महावीर मंदिर और अर्दली बाजार से की थी। उन्होंने एक बार इसे मंदिर में आयोजित एक कार्यक्रम में भक्ति गीत गाया था, लेकिन उस समय उन्हें चोट लग गई थी। यहां तक कि उनके सिर से खून भी बहने लगा था, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने गाना बंद नहीं किया। वह लगातार लोगों का मनोरंजन करते रहे।
एक अल्बम से हुए हिट
मनोज तिवारी की किस्मत भक्ति एल्बम से बदली थी। साल 1991 में मनोज तिवारी को पहली बार गंगा आरती की प्रस्तुति के लिए बुलाया गया था। उस समय उनको कोई बड़ा मौका नहीं मिला था। 1995 तक उन्हें छोटे-मोटे कार्यक्रमों में गाना गाने के ऑफर मिलते थे। उसी समय उनका एक एल्बम ‘शीतला घाट पे काशी में’ का गीत ‘बाड़ी शेर पर सवार’ रिलीज हुआ और इस गाने ने तहलका मचा दिया। इसी एल्बम के दौरान मनोज तिवारी को प्रसिद्धि प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक हिट गाने देने शुरू कर दिए। आज करोड़ों लोग मनोज तिवारी के गायकी के दीवाने हैं।
मनोज तिवारी की किस्मत भक्ति एल्बम से बदली थी। साल 1991 में मनोज तिवारी को पहली बार गंगा आरती की प्रस्तुति के लिए बुलाया गया था। उस समय उनको कोई बड़ा मौका नहीं मिला था। 1995 तक उन्हें छोटे-मोटे कार्यक्रमों में गाना गाने के ऑफर मिलते थे। उसी समय उनका एक एल्बम ‘शीतला घाट पे काशी में’ का गीत ‘बाड़ी शेर पर सवार’ रिलीज हुआ और इस गाने ने तहलका मचा दिया। इसी एल्बम के दौरान मनोज तिवारी को प्रसिद्धि प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक हिट गाने देने शुरू कर दिए। आज करोड़ों लोग मनोज तिवारी के गायकी के दीवाने हैं।
अभिनय में भी कमाया नाम
गायकी की तरह ही मनोज तिवारी ने अभिनय में भी खूब नाम कमाया। मनोज तिवारी ने अपने अभिनय की शुरुआत भोजपुरी इंडस्ट्री में ‘ससुरा बड़ा पैसा वाला’ फिल्म से की थी। यह फिल्म साल 2004 में रिलीज हुई थी। अपनी पहली ही फिल्म से मनोज तिवारी मशहूर हो गए थे। 30 लाख के बजट में बनी इस फिल्म ने नौ करोड़ रुपये का कारोबार किया था। यह फिल्म इतनी धांसू थी कि 50 हफ्ते तक सिनेमाघरों में लगी रही। इसके बाद मनोज तिवारी ने एक के बाद एक सुपरहिट फिल्मों की झड़ी लगा दी। अब वह राजनीति में झंडे गाड़ रहे हैं।
गायकी की तरह ही मनोज तिवारी ने अभिनय में भी खूब नाम कमाया। मनोज तिवारी ने अपने अभिनय की शुरुआत भोजपुरी इंडस्ट्री में ‘ससुरा बड़ा पैसा वाला’ फिल्म से की थी। यह फिल्म साल 2004 में रिलीज हुई थी। अपनी पहली ही फिल्म से मनोज तिवारी मशहूर हो गए थे। 30 लाख के बजट में बनी इस फिल्म ने नौ करोड़ रुपये का कारोबार किया था। यह फिल्म इतनी धांसू थी कि 50 हफ्ते तक सिनेमाघरों में लगी रही। इसके बाद मनोज तिवारी ने एक के बाद एक सुपरहिट फिल्मों की झड़ी लगा दी। अब वह राजनीति में झंडे गाड़ रहे हैं।