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आज देवी सरस्वती का प्रकट उत्सव:मां सरस्वती ने महाकवि कालिदास को दी थी सीख, अपने ज्ञान का घमंड न करें

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आज देवी सरस्वती का प्रकट उत्सव बसंद पंचमी (26 जनवरी) है। देवी सरस्वती विद्या की देवी हैं और जो लोग विद्यावान होते हैं, उन्हें अहंकार से बचना चाहिए, तभी वे मां सरस्वती की कृपा प्राप्त कर पाते हैं। महाकवि कालिदास देवी सरस्वती के परम भक्त थे, लेकिन उन्हें भी अपने ज्ञान का घमंड हो गया था, उस समय देवी ने उनका घमंड तोड़ा था। पढ़िए सरस्वती जी और कालिदास से जुड़ा प्रचलित प्रसंग…

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महाकवि कालिदास को अपने ज्ञान का घमंड हो गया था और खुद को सबसे विद्वान समझने लगे थे। एक दिन वे यात्रा कर रहे थे तो रास्ते में उन्हें प्यास लगी। उन्हें एक कुआं दिखाई दिया। कुएं पर एक महिला पानी भर रही थी।

कालिदास ने उस महिला से पीने के लिए पानी मांगा। महिला ने कहा कि पहले अपना परिचय दीजिए, उसके बाद मैं आपको पानी दूंगी।

कालिदास ने अपने ज्ञान के घमंड में डूबे हुए थे। उन्होंने खुद नाम न बताए हुए कहा कि मैं एक मेहमान हूं।

महिला ने कहा कि ये तो सही नहीं है। संसार में दो ही मेहमान हैं, एक धन और दूसरा यौवन।

ज्ञान की ये बात सुनकर कालिदास हैरान हो गए। उन्होंने कहा कि मैं सहनशील हूं।

महिला बोली कि ये भी सही उत्तर नहीं है। इस संसार में सिर्फ दो ही सहनशील हैं। पहली, धरती है, जो हमारा बोझ उठाती है। दूसरे सहनशील पेड़ हैं, जो पत्थर मारने पर भी फल ही देते हैं।

कालिदास को समझ आ गया कि ये महिला कोई विद्वान है। उन्होंने कहा कि मैं हठी हूं।

महिला बोली कि आप फिर गलत बात कह रहे हैं। संसार में हठी भी दो ही हैं। नाखून और बाल। बार-बार काटने पर भी फिर से बढ़ जाते हैं।

ये बातें सुनकर कालिदास ने अपनी हार मान ली। उन्होंने कहा कि मैं मूर्ख हूं। मुझे क्षमा करें।

महिला ने कहा कि तुम मूर्ख भी नहीं हो, क्योंकि मूर्ख भी दो ही हैं। एक राजा जो बिना योग्यता के भी सब पर राज करता है। दूसरे मूर्ख हैं दरबारी, जो राजा को खुश करने के लिए गलत बात पर भी झूठी प्रशंसा करते हैं।

इस बात के बाद कालिदास महिला के पैरों में गिर पड़े। तभी महिला ने कहा कि उठो पुत्र। कालिदास ने ऊपर देखा तो वहां मां सरस्वती खड़ी थीं।

देवी सरस्वती ने कालिदास को सीख दी कि तुम्हें अपने ज्ञान का घमंड हो गया था और मेरे भक्त को इस बुराई से बचना चाहिए। इसीलिए मैंने तुम्हारा घमंड तोड़ा है।

कालिदास ने देवी सरस्वती से क्षमा मांगी और संकल्प लिया कि अब से वे कभी भी घमंड नहीं करेंगे।

हमें भी किसी भी चीज का घमंड नहीं करना चाहिए। कुछ लोग अपनी सुंदरता, ज्ञान, धन, घर-परिवार, सुख-सुविधाओं का घमंड हैं, ये बात सही नहीं है। रावण और दुर्योधन महाशक्तिशाली थे, लेकिन अपने घमंड की वजह से इनके पूरे-पूरे कुल नष्ट हो गए। जीवन में सुख-शांति पाना चाहते हैं तो किसी भी स्थिति में घमंड नहीं करना चाहिए।

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