spot_img

18 फरवरी को महाशिवरात्रि, जानिए व्रत की महिमा और शिव पूजन की विधि

Must Read

acn18.com : इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी, शनिवार को है। इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, देवी सती का पार्वती के रूप में पुनर्जन्म हुआ था। मां पार्वती ने आरम्भ में अपने सौंदर्य से भगवान शिव को रिझाना चाहा लेकिन वे सफल नहीं हो सकीं। इसके बाद त्रियुगी नारायण से पांच किलोमीटर दूर गौरीकुंड में कठिन ध्यान और साधना से उन्होंने शिवजी का मन जीत लिया। इसी दिन भगवान शिव और आदिशक्ति मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। भगवान शिव का तांडव और माता भगवती के लास्यनृत्य के समन्वय से ही सृष्टि में संतुलन बना हुआ है। शिवजी को प्रसन्न करने और व्रत रखने कई महत्वपूर्ण नियम हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। इन नियमों का पालन करने से महाशिवरात्रि व्रत का पूरा फल मिलता है और भगवान शिव की कृपा भी बनी रहती है।

- Advertisement -

व्रत की महिमा
महाशिवरात्रि व्रत परम मंगलमय और दिव्यतापूर्ण है ,यह व्रत चारों पुरुषार्थों धर्म, अर्थ,काम और मोक्ष को देने वाला माना गया है। इस दिन जो प्राणी परमसिद्धिदायक भगवान शिव का व्रत,अभिषेक और पूजन करते हैं वह परम भाग्यशाली होता है। भगवान श्री राम ने स्वयं कहा है कि-‘ शिव द्रोही मम दास कहावा ! सो नर मोहि सपनेहुँ नहिं  भावा !!’अर्थात जो शिव का द्रोह करके मुझे प्राप्त करना चाहता है वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता। यही वजह है कि इस दिन शिव आराधना के साथ ही श्री रामचरितमानस के पाठ का भी बहुत महत्त्व होता है । एक अन्य कथा के अनुसार माता पार्वती ने एक बार भगवान शिव से पूछा कि कौनसा व्रत उनको सर्वोत्तम भक्ति व पुण्य प्रदान  कर सकता है ,तब भोलेशंकर ने स्वयं इस दिन का महत्व बताया था कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी की रात्रि  को जो उपवास करता है ,वह मुझे प्रसन्न कर लेता है ।में अभिषेक,वस्त्र,धूप,अर्घ्य तथा पुष्प आदि से उतना प्रसन्न नहीं होता जितना कि  व्रत-उपवास से।

व्रत और पूजन विधि
भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए श्रद्धालु  प्रातः स्नानादि करके शिवमंदिर जाएं ।पूजा में चन्दन  ,मोली ,पान, सुपारी,अक्षत, पंचामृत,बिल्वपत्र,धतूरा,फल-फूल,नारियल,इत्यादि शिवजी को अर्पित करें। भगवान शिव को अत्यंत प्रिय बेल को धोकर चिकने भाग की ओर से चंदन लगाकर चढ़ाएं । ‘ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र का उच्चारण जितनी बार हो सके  करें एवं शिवमूर्ति और भगवान शिव की लीलाओं का चिंतन करें। रात्रि के चारों प्रहरों में भगवान शंकर की  पूजा अर्चना करनी चाहिए ।अभिषेक के जल में पहले प्रहर में दूध, दूसरे में दही ,तीसरे में घी, और चौथे में शहद को शामिल करना चाहिए। दिन में केवल फलाहार करें, रात्रि में उपवास करें। हांलाकि रोगी, अशक्त और वृद्धजन रात्रि में भी फलहार कर सकते है । इस दिन शिव की पूजा करने से जीव को अभीष्ट फल की प्राप्ति अवश्य होती है।

महाशिवरात्रि पर प्रदोष व्रत का संयोग
हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि पर बहुत ही शुभ संयोग बनने जा रहा है। 18 फरवरी,शनिवार को त्रयोदशी तिथि है और इस तिथि पर प्रदोष का व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा-उपासना के लिए खास होता है। इस दिन त्रयोदशी तिथि की समाप्ति के बाद चतुर्दशी तिथि प्रारंभ हो जाएगी।

महाशिवरात्रि 18 फरवरी को:शिव जी के अवतार दुर्वासा ऋषि ने इंद्र को दिया था शाप, दुर्वासा ऋषि ने समझाया अपने पद का घमंड न करें

377FansLike
57FollowersFollow


v

377FansLike
57FollowersFollow
Latest News

फ्लोरा मैक्स में फर्जी क्राइम ब्रांच और आईटी अफसर का कारनामा,तीन कर्मियों को उठाकर जंगल ले गए, मारपीट की, ढाई लाख लूटे.देखिए वीडियो.

Acn18.com/कोरबा पुलिस ने ब्लैकमेलिंग मारपीट और लूटपाट की घटना में चार युवकों को गिरफ्तार किया है। यह फर्जी क्राइम...

More Articles Like This

- Advertisement -