कांग्रेस के निलंबित नेता और सूरत के प्रत्याशी रहे नीलेश कुंभानी शनिवार (11 मई) को 20 दिन बाद सामने आए। उन्होंने कांग्रेस को धोखा देने के आरोपों पर कहा कि पार्टी ने उन्हें पहले धोखा दिया था।
कुंभानी ने कहा- कांग्रेस नेता मुझ पर विश्वासघात का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि, विश्वासघात मैंने नहीं, कांग्रेस ने 2017 के विधानसभा चुनावों में मेरे साथ किया था। पार्टी ने सूरत की कामरेज विधानसभा सीट से आखिरी समय में मेरा टिकट रद्द कर दिया गया था। मैं ऐसा नहीं करना चाहता था, लेकिन मेरे समर्थक, कार्यालय कर्मचारी और कार्यकर्ता परेशान थे।
हालांकि, जब कुंभानी से यह पूछा गया कि क्या उन्होंने कांग्रेस से बदला लिया है, तो उन्होंने जवाब देने से इनकार कर दिया। कुंभानी ने कहा- सूरत में पांच नेता पार्टी चला रहे हैं। वे न तो खुद काम करते हैं और न दूसरों को काम करने देते हैं।
कुंभानी ने कहा- AAP और कांग्रेस I.N.D.I गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन जब मैं AAP नेताओं के साथ प्रचार करता था तो इन नेताओं ने आपत्ति जताई। मैं अब तक गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल और पार्टी के राजकोट लोकसभा उम्मीदवार परेश धनानी के प्रति सम्मान के कारण चुप रहा।
कांग्रेस ने इस लोकसभा चुनाव में नीलेश कुंभानी को सूरट से टिकट दिया था। हालांकि, 21 अप्रैल को नामांकन पर्चे में गवाहों के साइन में गड़बड़ी के कारण कुंभानी का नामांकन खारिज कर दिया गया। इसके बाद 22 अप्रैल को भाजपा प्रत्याशी मुकेश दलाल सूरत से निर्विरोध सांसद निर्वाचित हुए।
इसके बाद कुंभानी पर आरोप लगे कि वे भाजपा के साथ मिले हुए थे। उन्होंने नामांकन खारिज करवाने के लिए जानबूझकर गवाहों के साइन में गड़बड़ी की थी। कुंभानी 22 अप्रैल से किसी के संपर्क में नहीं थे। बाद में कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से सस्पेंड कर दिया।