ACN18.COM कोरबा/बिजली घरों को कोयला की आपूर्ति के नाम पर कोरबा से चलने वाली यात्री गाड़ियों को रेलवे ने खिलौना बना दिया है और यात्रियों के साथ लगातार मजाक करना जा रही है। गिनती की यात्री गाड़ियों को बनवाने तरीके से चलाया जा रहा है। मालगाड़ियों को जल्दी पार करने के चक्कर में विशाखापट्टनम कोरबा लिंक एक्सप्रेस को उरगा में 1 घंटे तक रोक देने से भीषण गर्मी में यात्री भारी परेशान हुए। इधर कोरबा स्टेशन में परिजनों ने रेल प्रबंधन की जमकर खिंचाई की..
विभिन्न राज्यों को उनकी जरूरत को पूरा करने के लिए रेलवे के द्वारा कोरबा जिले में स्थित एसईसीएल की खदानों से कोयला की सप्लाई माल गाड़ियों के जरिए की जा रही हैं। यह काम आसान तरीके से हो, इसके लिए शेषनाग, सुपर वासुकी नाम से तीन या चार रेक को एक साथ जोड़कर चलाया जा रहा है। इससे कई यात्री गाड़ियां अलग-अलग क्षेत्रों में बाधित हो रही हैं। इससे अलग रेलवे के द्वारा कोरबा जिले से चलने वाली यात्री ट्रेनों को उपक्षित करते हुए उनकी स्थान पर केवल मांग गाड़ियों के परिचालन पर जोर दिया है। मनमाने तरीके से यात्री ट्रेनों को रास्ते में रोकने के साथ केवल मांग गाड़ियां पार की जा रही हैं। विशाखापट्टनम से कोरबा के बीच चलने वाली लिंक एक्सप्रेस को इसी कारण से उरगा स्टेशन में 1 घंटे से भी अधिक समय तक रोक दिया गया। यात्री गर्मी में भूख प्यास से उबलते रहे, वही स्टेशन पर उनकी प्रतीक्षा कर रहे परिजनों को भी बेहद परेशान होना पड़ा। मामले की जानकारी होने पर यात्रियों के परिजनों ने रेलवे अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाई। इस दौरान अधिकारी यहां से वहां टाइम पास करते नजर आए। यार्ड मास्टर से लेकर अन्य अधिकारियों के पास इस बारे में कोई जवाब नहीं था की लिंक एक्सप्रेस को उरगा में रोककर क्यों रखा गया है।
स्टेशन में अपने परिजनों की प्रतीक्षा कर रहे लोगों ने रेलवे की मनमानी को लेकर भड़ास निकाली। लोगों ने बताया कि रेलवे कुल मिलाकर माल गाड़ियों को ही पार करने पर आमादा है और उसे यात्री हितों की कोई चिंता नहीं रह गई हैं। यह बात अलग रही कि लिंक एक्सप्रेस थी कहीं और लेकिन स्टेशन के डिस्प्ले में उसके कोरबा पहुंचने का दावा किया जा रहा है। इस रात की सुबह नहीं के अंदाज में काफी विलंब से लिंक एक्सप्रेस कि पहुंच प्लेटफार्म नंबर एक में हुई। तब कहीं जाकर यात्रियों और उनके परिजनों ने राहत की सांस ली। यात्रियों ने बताया कि रेलवे की मनमानी के कारण उन्हें बेहद परेशान होना पड़ा।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब की यात्री गाड़ियों को मनमाने तरीके से कहीं भी रोक देने के साथ उनके स्थान पर माल गाड़ियों को रवाना किया जाता रहा है। 1 सप्ताह से भी अधिक समय से अनेक यात्री गाड़ियों मैं सफर करने वाले लोगों को इसी प्रकार के कड़वे घूंट पीने पड़े हैं। लोगों ने इस तरह की कष्टदायक यात्रा के बारे में भारत सरकार तक अपनी बात पहुंचाई है और मांग की है कि कोरबा से हो रही कमाई को ध्यान में रखते हुए यात्री गाड़ियों को ठीक-ठाक तरीके से चलाने का विचार किया जाए ताकि रेलवे को बड़े आंदोलन से बचाया जा सके।