ACN18.COM उत्तर प्रदेश / उत्तर प्रदेश में मॉनसून आने के लगभग तीन हफ्ते बाद भी राज्य के 75 में से 71 जिलों में कम बारिश होने से खरीफ फसलों के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की जानकारी के अनुसार इस साल कुल 75 में से 71 जिलों में एक जून से 15 जुलाई के बीच कम बारिश हुई है। कौशांबी इस साल 98 फीसदी कम बारिश वाला सबसे शुष्क जिला है। कौशांबी और 55 अन्य जिलों को कम बारिश वाले जिलों में चिन्हित किया गया है। इस मॉनसून में अब तक उत्तर प्रदेश में सिर्फ औसतन 77.3 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य से 65 फीसदी कम है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में केवल औसतन 77.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य 243.5 मिलीमीटर बारिश से 68 प्रतिशत कम है। इसी तरह, पश्चिम उप्र के जिलों में औसतन 77.5 मिलीमीटर बारिश हुई है जो सामान्य 187.1 मिलीमीटर से 59 प्रतिशत कम है। कम वर्षा के कारण राज्य के गन्ना और धान उत्पादक क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा प्रभावित हो सकता है। इसका असर खरीफ फसलों के उत्पादन पर पड़ने की संभावना है। मऊ के एक किसान भीम सिंह यादव ने कहा कि हमने कम बारिश के कारण आज तक अपनी धान की फसल की रोपाई नहीं की है। मुझे चिंता है कि अगर अगले कुछ दिनों में मॉनसून फिर से शुरू नहीं हुआ तो इस साल मेरे पास धान की फसल नहीं होगी।
13 जुलाई की अद्यतन स्थिति के अनुसार खरीफ अभियान 2022-23 के तहत 96.03 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले 42.41 लाख हेक्टेयर भूमि की बुवाई की गई है, जो लक्ष्य का केवल 44.16 प्रतिशत है। इसमें से 45 फीसदी अकेले धान की खेती के कारण होता है। पिछले साल 13 जुलाई तक 53.46 लाख हेक्टेयर जमीन की बुवाई हो चुकी थी।
इस सीजन में कम बारिश के मद्देनजर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के संबंधित विभागों को सतर्क किया है। योगी ने बृहस्पतिवार को कहा कि मॉनसून की कमी से खरीफ फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इसके लिए किसी भी तरह की स्थिति का सामना करने के लिए तैयारी करनी होगी। सीएम ने कहा कि किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए कार्ययोजना तैयार की जाए। इसके लिए उन्होंने कृषि, सिंचाई, राहत और राजस्व विभाग की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की है।