acn18.com कोरबा /राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा परिवार के लोगों के समुचित उपचार के लिए मेडिकल काॅलेज जिला अस्पताल ने एक नेक पहल की है। इस विशेष जनजाति के मरीजों को बेहतर उपचार करने की मंशा से अलग से डेस्क बनाया गया है जिसके लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। अस्पताल में जब कोई पहाड़ी कोरवा परिवार का सदस्य ईलाज कराने आता है,तब पूरा स्वास्थ्य अमला उसके उपचार के लिए जुट जाता है और पूरी तरह से स्वस्थ्य होने के बाद उन्हें बाकायदा घर तक पहुंचाया जाता है।
पहाड़ी कोरवा,ये नाम आपने बहुत बार सुना होगा। ये नाम सुनते हैं हमारे जहन में ऐसे लोगों की तस्वीर उतर आती है,जो दूर जंगलो और पहाड़ों के उपर निवास करते है। शहर की चकाचैंध से दूर पहाड़ी कोरवा परिवार को विकास से कोई मतलब नहीं है। यही वजह है,कि आज भी ये पिछड़े हुए है। इनके उत्थान और विकास के लिए कई योजनाएं बनी लेकिन उनका बेहतर क्रियान्वयन नहीं हो सका। लेकिन अब नई सरकार का गठन होने के बाद इन विशेष जनजातियों के स्वास्थ्य को लेकर काफी गंभीरता दिखाई जा रही है यही वजह है,कि मेडिकल काॅलेज जिला अस्पताल में इनके उपचार के लिए अलग से डेस्क बनाया गया है जिसके लिए अलग से नोडल अधिकारी की नियुक्ती भी की गई है। जब भी कोई पहाड़ी कोरवा व्यक्ति अस्पताल पहुंचता है तब स्वास्थ्य अमला उसको यह महसूस कराने में जुट जाता है,कि यह अस्पताल नहीं बल्की घर है। उसके जांच,उपचार,रहने खाने की पूरी व्यवस्था की जाती है। यहां तक की उपचार होने के बाद बाकायदा एंबुलेंस से उसे घर छोड़ा जाता है।
अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मचारी दिलचंद लदेर को पहाड़ी कोरवा डेस्क का नोडल अधिकारी बनाया गया है,जिनकी देख-रेख में पहाड़ी कोरवा मरीज का उपचार व रहने खाने की व्यवस्था की जाती है। उन्होंने बताया,कि रात में भी अगर उन्हें पहाड़ी कोरवा मरीज के अस्पताल पहुंचने की सूचना मिलती है,तो वे मौके पर पहुंचते हैं और उसकी पूरी जिम्मेदारी उठा लेते है। मरीज के भर्ती होने से उसके ठीक होने तक वो उनकी देखरेख में होता है और ईलाज हो जाने के बाद उसे एंबुलेंस से घर भेजा जाता है।
कोरबा प्रवास के दौरान स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने भी कहा था,कि सरकारी अस्पतालों को इतना उन्नत बनाया जाए,कि निजी अस्पताल से मरीज रिफर होकर सरकारी अस्प्ताल में आए। इसी उद्देश्य से मेडिकल काॅलेज अस्पताल में पहाड़ी कोरवा डेस्क की स्थापना की गई है। ताकी उनका भरोसा सरकारी अस्पताल के प्रति और प्रगाढ़ हो जाए और बेवजह की परेशानियों से बच सके।