आज सूर्य पूजा का पर्व धनु संक्रांति है। जो लोग रोज सूर्य पूजा करते हैं, सूर्य को अर्घ्य देते हैं, उनका ज्ञान बढ़ता है। सूर्य एकमात्र प्रत्यक्ष दिखने वाले देवता हैं। हनुमान जी ने भी सूर्यदेव को गुरु बनाया था और सभी वेदों का ज्ञान हासिल किया था।
हनुमान जी जब थोड़े बड़े हुए तो उनके माता-पिता यानी अंजनी और केसरी ने उन्हें सूर्यदेव के पास भेजा, ताकि वे सभी वेदों का ज्ञान हासिल कर सके। माता-पिता की बात मानकर हनुमान जी ने सूर्य देव के पास पहुंच गए। उन्होंने सूर्य से गुरु बनने की प्रार्थना की।
सूर्य देव हनुमान जी बात सुनी और कहा कि मैं एक पल भी कहीं ठहरता नहीं हूं। मेरा रथ लगातार चलता है, मैं रथ से उतर नहीं सकता, ऐसे में मैं तुम्हें ज्ञान कैसे दे सकता हूं?
हनुमान जी बोले कि आप बिना रुके ही मुझे शिक्षा दे सकते हैं, मैं आपके साथ चलते-चलते ज्ञान हासिल कर लूंगा। सूर्य देव ने हनुमान जी की बात मान ली। इसके बाद सूर्य देव ने हनुमान जी को सभी वेदों का दिया, शास्त्रों के रहस्य बताए। हनुमान जी भी शांति के साथ सारी बातें समझीं।
इस प्रसंग से हमें तीन संदेश मिलते हैं। पहला, जो व्यक्ति योग्य है, उसे ही गुरु बनाना चाहिए। दूसरा, ज्ञान कैसे भी मिले, हासिल करना चाहिए। तीसरा, सूर्य देव ज्ञान के देवता हैं, इनकी पूजा करने से हमें भी ज्ञान मिल सकता है।
रोज सुबह करनी चाहिए सूर्य पूजा
जो लोग ज्ञान हासिल करना चाहते हैं, उन्हें रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए और सूर्य पूजा करनी चाहिए। सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। आप चाहें तो घर में सूर्य देव की प्रतिमा की पूजा भी कर सकते हैं। धूप-दीप जलाएं, भोग लगाएं और आरती करें। सूर्य के मंत्र का जप कम से कम 108 बार करना चाहिए। सूर्य के 12 नाम वाले मंत्र का जप भी किया जा सकता हैं।
ये हैं सूर्य का 12 नाम वाला मंत्र
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर, दिवाकर नमस्तुभ्यं, प्रभाकर नमोस्तुते।
सप्ताश्वरथमारूढ़ं प्रचंडं कश्यपात्मजम्, श्वेतपद्यधरं देव तं सूर्यप्रणाम्यहम्।।