शुक्रवार, 14 अप्रैल को मेष संक्रांति है। इस सूर्य मीन से मेष राशि में प्रवेश करेगा और खरमास खत्म हो जाएगा। खरमास खत्म होने से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट जाएगी। अब इन शुभ कामों के लिए मुहूर्त मिल सकेंगे। मेष संक्रांति पर नदी स्नान के साथ ही दान-पुण्य करने की परंपरा है। इस पर्व पर सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए और विशेष पूजा करनी चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, सूर्य एक राशि में करीब एक महीना रुकता हैं। जिस दिन ये ग्रह एक राशि छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करता है, उस दिन संक्रांति पर्व मनाया जाता है। शुक्रवार को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेगा, इस कारण इसे मेष संक्रांति कहा जाता है। ये राशि परिवर्तन अप्रैल में होता है। सूर्य 14 अप्रैल से 15 मई तक मेष राशि में ही रहेगा।
मेष संक्रांति पर कर सकते हैं ये शुभ काम
मेष संक्रांति पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। जो लोग नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
स्नान के बाद घर सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाना चाहिए। जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। इसके बाद सूर्य देव की विशेष पूजा करें। सूर्य देव के लिए गुड़ का दान करें।
संक्रांति पर स्नान के बाद पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि शुभ काम भी करना चाहिए। दोपहर में गाय के गोबर से बना कंडा (उपला) जलाएं और जब उससे धुआं निकलना बंद हो जाए, तब उस पर पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी अर्पित करें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर पितरों को जल अर्पित करें।
इस दिन स्नान के बाद पूजा-पाठ करें और फिर जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं। धन, अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल, छाता, गुड़, गेहूं दान करें।
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं है, उन्हें संक्रांति पर सूर्य देव के लिए पूजा-पाठ जरूर करना चाहिए। सूर्य नौ ग्रहों का राजा है और इस वजह से सूर्य देव की कृपा से कुंडली के कई दोष शांत हो सकते हैं और कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो सकती हैं।