acn18.com/ सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव पर INDIA ब्लॉक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- सभापति राज्यसभा में स्कूल के हेडमास्टर की तरह व्यवहार करते हैं। विपक्ष का सांसद 5 मिनट भाषण दे तो वे उस पर 10 मिनट तक टिप्पणी करते हैं।
सभापति सदन के अंदर प्रतिपक्ष के नेताओं को अपने विरोधी के तौर पर देखते हैं। सीनियर-जूनियर कोई भी हो, विपक्षी नेताओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर अपमानित करते हैं।
सदन में एक्सपीरियंस नेता हैं, जर्नलिस्ट हैं, लेखक हैं, प्रोफेसर हैं। कई फील्ड में काम कर सदन में आए हैं। 40-40 साल का अनुभव रहा है, ऐसे नेताओं की भी सभापति प्रवचन सुनाते हैं।
आमतौर पर विपक्ष चेयर से प्रोटेक्शन मांगता है, सभापति ही संरक्षक होता है। लेकिन उनके व्यवहार के कारण हम अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर हुए हैं।
अगर वही प्रधानमंत्री और सत्तापक्ष का गुणगान कर रहा हो तो विपक्ष की कौन सुनेगा। उनके खिलाफ हमारी कोई निजी दुश्मनी, द्वेष या राजनीतिक लड़ाई नहीं है। देश के नागरिकों को हम विनम्रता से बताना चाहते हैं कि हमने सोच-विचारकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए मजबूरी में ये कदम उठाया है।
खड़गे बोले- धनखड़ सरकार की तारीफ करते हैं, खुद को RSS का एकलव्य बताते 3 साल में उनका आचरण पद की गरिमा के विपरीत रहा है। कभी सरकार की तारीफ के कसीदे पढ़ते हैं, कभी खुद को आरएसएस का एकलव्य बताते हैं। ऐसी बयानबाजी उनके पद को शोभा नहीं देती।
कन्नड़ में कहते हैं कि खुद बाड़ी लगा रहे हैं फसलों की सुरक्षा के लिए और बाड़ी ही खेत को खा रही है तो रक्षा कौन करेगा। हम सुरक्षा उनसे मांगते हैं, अपेक्षा उनसे करते हैं। वे ध्यान नहीं देते, रूलिंग पार्टी के मेंबर्स को कहने के लिए इशारा करते हैं।
जब भी विपक्ष सवाल पूछता है तो मंत्रियों से पहले चेयरमैन खुद सरकार की ढाल बनकर खड़े होते हैं। उनके आचरण ने देश की गरिमा को बहुत नुकसान पहुंचाया है। देश के संसदीय इतिहास में ऐसी स्थिति ला दी है कि हमें उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस लाना पड़ा।
राधाकृष्णनन ने कहा था- मैं सदन में हर पार्टी से जुड़ा हूं सभापति राजनीति से परे होते हैं। आज सभापति नियमों को छोड़कर राजनीति ज्यादा कर रहे हैं। अंबेडकरजी ने संविधान में लिखा है कि भारत के उप-राष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होंगे।
पहले राज्यसभा सभापति राधाकृष्णन ने 1952 को सांसदों से कहा था कि मैं किसी भी पार्टी से नहीं हूं। इसका मतलब है कि मैं सदन में हर पार्टी से जुड़ा हूं।
ये निष्पक्षता को बताता है। सदन में मैं हर पार्टी का आदमी हूं।
TMC नेता बोले- हमें बोलने का मौका नहीं मिलता TMC नेता नदीम उल हक बोले, “जो व्यवहार हमारे चेयरमैन का है, हम उससे खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। हमें बोलने का मौका नहीं मिल रहा है। सत्तापक्ष को पूरा मौका मिलता है। विपक्षी नेताओं को जब मौका दिया जाता है, वैसे ही चेयरमैन सदन के स्थगित कर देते हैं। उनके निष्पक्ष होने पर सवाल उठ रहा है। इसीलिए हम अविश्वास प्रस्ताव लाए हैं।”