acn18.com कोरबा / जेलों में बंद कैदियों से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए अब प्रत्यक्ष रूप से कोर्ट में उपस्थिति के बजाए वीडियो कांफ्रेंसिंग का सहारा लिया जा रहा है। उनकी पेशी इसी अंदाज में निपटाई जा रही है। कहां जा रहा है कि यह प्रयोग सफल होता है तो आने वाले दिनों में इसे नियमित कर दिया जाएगा।
अलग-अलग कारण से अपराधिक मामलों में लिप्त लोगों को निराकरण होने तक जेलों में रखने की व्यवस्था बनाई गई है। ऐसे जेल अलग-अलग स्तर के होते हैं और कैदियों को कैटेगरी के आधार पर रखा जाता है। व्यवस्था के अंतर्गत कैदियों को पेशी पर कोर्ट में ले जाया जाता है और फिर उनकी वापसी जेल में कराई जाती है। इस प्रक्रिया में कई प्रकार के जोखिम होती है और परेशानियां भी। इसलिए पूरे मामले को आसान करने के लिए नवीन तरीके आजमाए जा रहे हैं। उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर अब हर कहीं बदलो की पेशी के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग का सहारा लिया जा रहा है। कोरबा जिले में पहली बार आयोजित की गई इस तरह की पेशी में 10 मामले रखे गए और इनमें से आठ में सुनवाई हुई।
कोरबा जिला जेल के जेलर ऐसा मानते हैं कि कुल मिलाकर कई कारणों से ही नई कोशिश पर काम किया जा रहा है क्योंकि कई बार अनुभव अच्छे नहीं रहे हैं। कहां जा रहा है कि प्रायोगिक तौर पर संभवत पहली बार वीडियो कांफ्रेंसिंग पैटर्न पर कैदियों की पेशी की जा रही है। नतीजों के आधार पर आगे इस व्यवस्था को रेगुलर भी किया जा सकता है । इससे समय भी बचेगा और जोखिम भी नहीं रहेगी।
याद रखना होगा कि ना केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देश की जेलों में उनकी क्षमता के मुकाबले कैदियों की संख्या ज्यादा है। लंबे समय से जेल में रहने वाले कैदियों क्रि रिहाई में ज्यादा समय जाया हो रहा है। इसके पीछे कई प्रकार के कारण बताए जाते हैं। उनका कहना है कि वीडियो कांफ्रेंसिंग से कैदियों की पेशी करने के साथ मामलों को निपटाने की गति बढ़ सकती है और बहुत सारे लोगों को समय पर न्याय मिल सकता है