श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे मालदीव भाग चुके हैं। हजारों प्रदर्शनकारी पीएम रानिल विक्रमसिंघे के घर में कब्जा कर चुके हैं। अब संसद भवन पर भी जनता के कब्जे की आशंका है। ऐसे में श्रीलंका में एक बार फिर इमरजेंसी लगा दी गई है। इसी बीच कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने सेना और पुलिस को प्रदर्शनकारियों से निपटने और देश में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए खुली छूट दे दी है। यानी अब देश की फौज और पुलिस के अधिकार बढ़ गए हैं और जनता के घट गए हैं।
श्रीलंकाई संविधान के आर्टिकल 155 के तहत इमरजेंसी की घोषणा करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास ही होता है। चूंकि श्रीलंका में राष्ट्रपति देश छोड़कर भाग चुके हैं, इसलिए प्रधानमंत्री को एक्टिंग राष्ट्रपति बना दिया गया है। उन्होंने ही इस बार इमरजेंसी की घोषणा की है। 1947 के सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश (PSO) में इस तरह इमरजेंसी लागू करने को लेकर कानूनी प्रक्रिया है।
श्रीलंका में आज लागू हुई इमरजेंसी का हमें अभी तक डिटेल्ड नोटिफिकेशन नहीं मिला है, लेकिन 6 मई 2022 को लागू हुई इमरजेंसी के आधार पर कुछ प्रमुख प्रावधान ये हैं…
- इमरजेंसी के दौरान सारी शक्तियां राष्ट्रपति के पास आ जाती हैं। राष्ट्रपति चाहे तो कोई मंत्री नियुक्त कर सकता है, जो उनका काम-काज देखे।
- राष्ट्रपति पूरे देश में जरूरत के सामान और सेवाएं चलती रहें, इसके लिए कमिश्नर नियुक्त कर सकता है। कमिश्नर असिसेंटेंट कमिश्नर और ये चेन नीचे तक चलती जाती है।
- इमरजेंसी के दौरान पुलिस या फौज के अधिकारी को ये अधिकार होता है कि वो बिना किसी वारंट के किसी के भी घर की तलाशी ले सकते हैं। इसके अलावा 14 दिनों तक बिना कोर्ट को बताए किसी भी शख्स को हिरासत में ले सकते हैं।
- इमरजेंसी के दौरान नेशनल सिक्योरिटी और कानून व्यवस्था के नाम पर नागरिकों के मूलभूत अधिकार सस्पेंड कर दिए जाते हैं। श्रीलंका के संविधान में नागरिकों को पांच मूलभूत अधिकार दिए गए हैं।
- इमरजेंसी में कोई भी व्यक्ति झूठा भाषण नहीं दे सकता या अफवाह नहीं फैला सकता। यानी बोलने की आजादी पर भी रोक लग जाती है।
- कोई सभा करने, किसी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वाले को इमरजेंसी नियमों के मुताबिक सजा दी जाती है।