Acn18.com कोरबा/ दादर के आदिवासी जमीन को यादव की जमीन बताकर कूटरचित दस्तावेजों के द्वारा रजिस्ट्री कराने वाले जवाहर अग्रवाल को कोर्ट ने 7 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट के निर्णय आने के बाद शहर में फर्जी तरीके से जमीन खरीदने वाले रसूखदारो में हड़कंप मच गया है।बता दें कि तुलसी मार्ग निवासी जवाहर अग्रवाल ने दादर के आदिवासी की जमीन को यादव की जीमन बताकर गलत तरीके से राजस्ट्री करा ली थी। जमीन के असली मालिक ने अपने पुरखों की जमीन के लिए विशेष न्ययालय में केस दायर किया था। विद्वान न्यायधीश ने दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बात न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री फर्जी मानते हुए क्रेता जवाहर अग्रवाल और उनके साथी राजेंद्र यादव को 7 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट के निर्णय आने के बाद शहर के सरकारी और आदिवासी जमीन खरीदने वाले रसूखदारों में खलबली मच गई है।उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण में दो अभियुक्त कमल नारायण पटेल व परदेसी राम यादव की मृत्यु लगभग 9 वर्ष पूर्व हो चुकी है,इसके अलावा एक अन्य अभियुक्त मोहनलाल शर्मा को इस प्रकरण में फरार घोषित किया गया है,जिसकी गिरफ्तारी को लेकर माननीय न्यायालय द्वारा बेमियादी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।
शासकीय अभिभाषक ने दिलाया न्याय
आदिवासी जमीन को यादव की जमीन बताकर रजिस्ट्री कराने के मामले में सभी ओर से लाचार हो चुके आदिवासी को न्याय और दोषियों को सजा दिलाने में शासकीय अभिभाषक कमलेश उपाध्याय की अहम भूमिका रही।
जवाहर अग्रवाल को 7 वर्ष की सजा,आदिवासी जमीन की फर्जी रजिस्ट्री,एक आरोपी के विरुद्ध बेमियादी गिरफ्तारी वारंट जारी।
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