Acn18.com/आज सारा देश 77वें आजादी के जश्न में डूबा हुआ है। इस अवसर पर दैनिक भास्कर छत्तीसगढ़ ने सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति से जुड़ी कविता लेकर आया है। जिसमें कवियों ने एक खास अंदाज में जोशीली कविताएं पेश की हैं। साथ ही उन्होंने सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं भी दी है।
सबसे पहले पढ़िए.. प्रसिद्ध कवि मीर अली मीर की ये कविता
बलिदानी तू अमर हो गया, मातृभूमि तेरा घर हो गया
और तेरे भाग्य की रेखाएं क्यों मेरे हाथ नहीं आई।
मैं गुमनाम रहूंगा जग में, तेरा नाम तो अमर हो गया।
आगे मीर अली मीर ने कहा कि आज बलिदानियों को हमारे देश में शिखर पुरुष के तौर पर पूजा जाता हैं। उन्होंने इन अमर शहीदों के लिए भास्कर के कैमरे में कविता पढ़ी।
जिसके बोल हैं..
अमर हो गए..अमर हो गए.. अमन के लिए तुम अमर हो गए।
चमन के लिए तुम अमर हो गए, वतन के लिए तुम अमर हो गए।
मां के आंचल में गूंजी बच्चों की किलकारी और होनहार तुम जान गई वो कैसी ममता न्यारी।
बोझिल मन से ढूंढ रहे हैं..कहां खो गए तुम..अमर हो गए।
वतन के लिए तुम अमर हो गए।
अंबिकापुर के फिल्म मेकर गोपाल पांडेय् ने गाया संदेसे आते हैं
अम्बिकापुर के फिल्म मेकर गोपाल पांडेय् कविताएं भी लिखते हैं। इस बार स्वतंत्रता दिवस पर उन्होने पुलिस यूनिफॉर्म में संदेसे आते हैं गीत गाया। पांडेय् ने प्रदेश के शहीद पुलिस जवानों को आजादी के इस उत्सव में ट्रिब्यूट दिया। गोपाल ने इससे पहले उदित नारायण, अनुराधा पॉडवॉल जैसे कलाकारों के साथ भी गीत कम्पोज किए हैं।
तिल्दा नेवरा के कवि ऋषि वर्मा”बइगा” की कविता
भारत मां के लाल हम, उतार देंगे खाल हम, किसकी मजाल यहां आंख जो दिखाई है।
मन में उमंग है, तरंग तरुणाई का, ताकत,तलवार,तीर, भाला बरछाई है।
काट-काट सिर धड़ों से, छांट-छांट दुश्मनों का, मार-मार, मांस गीदड़ गिद्ध को खिलाई है।
ऐसे-ऐसे वीर यहां ,ऐसे ही शहीद यहां, लहू से ललाट लाल तिलक सजाई है।
बेमेतरा के कवि ईश्वर साहू ‘आरुग’ की कविता
धरो हाथ में फरसा अब और खुद को तुम बलराम करो
अत्याचारी दानव दल से खुलकर अब संग्राम करो
रावण कंस बहुत है, जग में धरती थर थर कांप रही
उठो जवानों अब तुम खुद को राम करो या श्याम करो ।
घाटी से अब अमन का पैगाम आ जाए ।
खुशियों की वहां फिर से पलाश छा जाए ।
दुआएं दिल से निकली है, कश्मीर के वास्ते, तिरंगे से लिपट कर फिर कोई लाश ना आए ।
रायगढ़ के कवि अमित दुबे की कविता
नदियों में नदी गंगा तीन रंगों का तिरंगाजन मन गन वाला गान हिन्दुस्तान है ।
तपो भूमि मुनियों की, जन्म भूमि गुणियों की वेद उपनिषद का ज्ञान हिन्दुस्तान है ।
चिड़ियों की चहक है, सरसों की महक है,लहलहाते खेतों का धान हिन्दुस्तान है ।
खेलते सीमाओं पर जो खून की होलियांवीर जवानों का बलिदान हिन्दुस्तान है
बलौदाबाजार की कवियत्री डॉ. तुलेश्वरी धुरंधर की कविता
जा बेटा जा सेना में जा,दुश्मन मार गिराना तुम
एक के बदले सौ मरना,भारत का लाल कहाना तुम
कोख मेरा न लज्जित हो, दूध का कर्ज चुकाना तुम।
जो दिखायेगा लाल आंख उसको, सबक सिखाना तुम।
जा बेटा जा सेना में जा दुश्मन मार गिरना तुम ।
कोरबा से कवि हीरामणी वैष्णव की देशभक्ति की कविता
धूप में भी छांव है, मस्तियों में गांव है।
जिसको चूम लूं मैं वो सैनिकों का पांव है।
देश पर जो मर मिटे वो शौर्य गाइए ,नफरतों को अपने दिल से अब मिटाइए।