53 साल बाद इस साल पुरी की रथयात्रा दो दिनों की होगी। स्नान पूर्णिमा पर बीमार हुए भगवान जगन्नाथ आज सुबह ठीक हुए, इसलिए रथयात्रा से पहले होने वाले उत्सव भी आज ही मनाए जा रहे हैं।
भगवान को आम दिनों से 2 घंटे पहले जगाया गया। मंगला आरती सुबह 4 की बजाय रात 2 बजे हुई। इससे पहले 1971 में भी रथयात्रा दो दिन चली थी।
मंगला आरती के बाद करीब ढाई बजे दशावतार पूजन हुआ। 3 बजे नैत्रोत्सव और 4 बजे पुरी के राजा की तरफ से पूजा की गई। अब सूर्य पूजा के बाद भगवान को खिचड़ी का भोग लगेगा। इसके बाद रथों की पूजा होगी और भगवान को खास कपड़ों में लपेटकर मंदिर से बाहर लाया जाएगा। रथयात्रा में ज्यादा भीड़ होने की संभावना है, इसलिए भगवान के नवयौवन दर्शन नहीं होंगे। रथयात्रा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल होंगी।
सूर्यास्त के बाद नहीं खींचे जाएंगे रथ
इन पूजा विधियों के चलते रथयात्रा शाम 5 बजे तक शुरू होने की संभावना है। रथों को सूर्यास्त तक ही खिंचा जाएगा। सूर्यास्त होने पर रथ जहां तक पहुंच जाएंगे, वहीं रोक दिए जाएंगे।
रथों पर ही भगवान का नित्य पूजन होगा। इसमें संध्या आरती, भोग लगेगा इसके बाद शयन आरती होगी। सोमवार सुबह फिर से रथ खींचे जाएंगे और शाम तक गुंडिचा मंदिर पहुंच जाएंगे।
भगवान की पूजा के बाद रथ प्रतिष्ठा और अन्य रस्में होंगी। इनमें पुरी के राजा दिव्य सिंह देव छोरा पोहरा की परंपरा पूरी करेंगे। इसमें वो सोने के झाड़ू से रथों के आगे बुहारा लगाएंगे और जल छिड़केंगे। इसके बाद रथयात्रा शुरू होगी। इसमें सबसे आगे भगवान बलभद्र का रथ, बीच में बहन सुभद्रा और आखिरी में भगवान जगन्नाथ का रथ रहेगा।