Acn18.com/चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सक्सेसफुल लैंडिंग के बाद इसरो अब सूर्य की स्टडी करने के लिए एक हफ्ते के भीतर यानी 2 सितंबर को सौर मिशन शुरू करने की तैयारी कर रहा है। यह जानकारी स्पेस एप्लिकेशन सेंटर अहमदाबाद के निदेशक नीलेश एम देसाई ने न्यूज एजेंसी ANI को दी।
आदित्य-L1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली स्पेस बेस्ड इंडियन लेबोरेट्री होगी। इसे सूर्य के चारों ओर बनने वाले कोरोना के रिमोट ऑब्जरर्वेशन के लिए डिजाइन किया गया है।
आदित्य यान, L1 यानी सूर्य-पृथ्वी के लैग्रेंजियन पॉइंट पर रहकर सोलर विंड्स का ऑब्जर्वेशन करेगा। यह पॉइंट पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। यहां तक पहुंचने में इसे करीब 109 दिन लगेंगे।
यह लैग्रेंजियन पॉइंट के चारों ओर की कक्षा, फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर के अलावा सबसे बाहरी परत कोरोना की अलग-अलग वेब बैंड्स से टेस्टिंग 7 पेलोड के जरिए करेगा।
पूरी तरह स्वदेशी है आदित्य L1
इसरो के एक अधिकारी के मुताबिक आदित्य-एल1 देश की संस्थाओं की भागीदारी से बनने वाला पूरी तरह स्वदेशी प्रयास है। बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ने इसके पेलोड बनाए हैं। जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे ने मिशन के लिए सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड विकसित किया है।
यूवी पेलोड का इस्तेमाल कोरोना और सोलर क्रोमोस्फीयर पर, जबकि एक्स-रे पेलोड का इस्तेमाल फ्लेयर्स को देखने के लिए किया जाएगा। पार्टिकल डिटेक्टर और मैग्नेटोमीटर पेलोड, चार्ज्ड पार्टिकल के L1 के चारों ओर बनी हेलो कक्षा तक पहुंचने वाले मैग्नेटिक फील्ड के बारे में जानकारी देंगे।
आदित्य यान L1 पॉइंट पर ही क्यों भेजा जाएगा
आदित्य यान को सूर्य और पृथ्वी के बीच हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इसरो का कहना है कि L1 पॉइंट के आस-पास हेलो ऑर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देख सकता है। इससे रीयल टाइम सोलर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी।
उम्मीद की जा रही है कि आदित्य एल1 के पेलोड कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों की विशेषताओं, पार्टिकल्स की मूवमेंट और स्पेस वैदर को समझने के लिए जानकारी देगा।