Acn18.com/पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को पाकिस्तानी रेंजर्स ने गिरफ्तार कर लिया है। इसके बाद से इमरान समर्थक पूरे देश में बवाल कर रहे हैं। जगह-जगह पुलिस और सेना पर हमले हो रहे हैं। आगजनी और तोड़फोड़ हो रही है। पाकिस्तान सरकार के मंत्रियों और उनके समर्थकों के घर भी उपद्रवियों के निशाने पर हैं।
क्रिकेटर से राजनेता और फिर प्रधानमंत्री बनने तक का सफर पूरा करने वाले इमरान निजी जिंदगी को लेकर भी खूब चर्चा में रहते हैं। ऐसे में आज हम आपको इमरान खान की निजी जिंदगी के बारे में बताएंगे। उनके परिवार के बारे में जानकारी देंगे। बताएंगे कि उनके परिवार में कौन क्या करता है? इमरान खान के माता-पिता से लेकर पत्नी और बच्चों तक के बारे में जानकारी देंगे। आइए जानते हैं…
शुरुआत इमरान के बचपन से करते हैं
इमरान खान का जन्म पांच अक्तूबर 1952 को लाहौर में इकरामुल्लाह खान नियाजी और शौकत खानुम के यहां हुआ। इमरान के पिता इकरामुल्लाह सिविल इंजीनियर थे। मां शौकत खानुम पाकिस्तान के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे अहमद हसन खान की बेटी थीं। अहमद हसन की गिनती पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के करीबियों में होती थी। इकरामुल्लाह के पांच बच्चे हुए। इनमें चार बेटियां और इमरान खान शामिल थे।
चार बहनों के बीच इकलौते इमरान खान
1. रूबिना खानुम : लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से रूबिना ने पढ़ाई की है। यूनाइटेड नेशंस में कई बड़े पदों को भी संभाल चुकी हैं।
2. अलीमा खानुम : इमरान खान की दूसरी बहन अलीमा खानुम उद्यमी हैं। अलीमा लाहौर में स्थित टेक्सटाइल बाइंग हाउस की फाउंडर भी हैं। इन्होंने लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंस से 1989 में एमबीए किया है। अलीमा शौकत खानुम मेमोरियल ट्रस्ट की मार्केटिंग डायरेक्टर भी हैं।
3. उज्मा खानुम : क्वालीफाइड सर्जन हैं। लाहौर के बड़े डॉक्टरों में उज्मा की गिनती होती है।
4. रानी खानुम : इमरान खान की चौथी बहन रानी खानुम ने स्नातक किया है। रानी पाकिस्तान के कई शहरों में सामाजिक कार्य करती हैं। महिलाओं और बच्चों की शिक्षा के लिए वह काम करती हैं।
5. इमरान खान : पांच अक्तूबर 1952 को लाहौर के एक रईस परिवार में जन्में इमरान ने 16 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास क्रिकेट से करियर की शुरुआत की। उन्होंने 1971 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू और 1974 में वनडे डेब्यू किया था। इमरान ने 25 मार्च, 1992 को आखिरी वनडे भी इंग्लैंड के खिलाफ ही खेला था।
इमरान 1982 में पाकिस्तान के 13वें टेस्ट कप्तान बने। वन-डे और टेस्ट दोनों में उन्होंने 1982-1992 तक कप्तान की भूमिका अदा की। इमरान पाकिस्तान के इतिहास में इकलौते क्रिकेटर हैं, जिन्हें संन्यास लेने के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति जिया उल हक के आग्रह पर वापसी की थी।
दरअसल, उनकी कप्तानी में 1987 में पाकिस्तान को क्रिकेट वर्ल्ड सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा था। इससे निराश इमरान ने संन्यास की घोषणा कर दी। हालांकि, जिया उल हक के आग्रह पर वह फिर से कप्तान बने और 1992 में पाकिस्तान को किक्रेट वर्ल्ड कप दिलाया।
27 साल पहले राजनीति में आए
क्रिकेट से 1992 में संन्यास लेने के बाद 1996 में इमरान ने तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी का गठन किया। बतौर राजनेता कभी उन्हें इतनी तवज्जो नहीं मिली, लेकिन 2018 में वह पाकिस्तान की सियासी कमान संभालने की कगार पर खड़े हो गए। महिलाओं और युवाओं का एक बड़ा वर्ग उनका समर्थन करने लगा। इसके पीछे बड़ी वजह आमतौर पर उनका राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन में विवादों से दूर रहना बताया गया।
2002 में परवेश मुशर्रफ के सैन्य शासन के दौरान हुए आम चुनाव में पीटीआई ने पहली और एक मात्र सीट जीती। 2002 से 2007 तक इमरान ने नेशनल असेंबली में मियांवाली का प्रतिनिधित्व किया। एक बार इमरान ने राष्ट्रपति मुशर्रफ को अमरीकी राष्ट्रपति का जूता चाटने वाला बताया था। इसके बाद उन्हें उनके घर में नजरबंद कर दिया गया था।
मुशर्रफ के लिए की थी मृत्यदंड की मांग
2007 में मुशर्रफ ने पाकिस्तान में आपातकाल घोषित कर दिया था। इसके बाद इमरान ने मुशर्रफ के लिए मृत्युदंड की मांग की थी। मुशर्रफ ने इसे देशद्रोह माना था। इमरान को फिर से नजरबंद करने को कहा गया, लेकिन इमरान वहां से फरार हो गए। उन पर आतंकवाद अधिनियम के तहत आरोप भी लगाए गए। इमरान को डेरी गाजी खान जेल में बंद भी कर दिया गया। बाद में वह सरकार का विरोध करते हुए कई बार नजरबंद हुए। हालांकि, उन्होंने कभी सरकार से टक्कर लेना नहीं छोड़ा। इमरान खान ने दुनियाभर में चंदा इकट्ठा कर 2008 में अपनी मां शौकत खानम के नाम पर एक कैंसर अस्पताल बनवाया।