सैकड़ों साल पुराने पेड़ प्रशासन ने कटवाए:रविंद्रनाथ टैगोर जिस बरगद के नीचे बैठे, उसे भी काटने की अनुमति; लोगों ने किया विरोध-प्रदर्शन

Acn18.com/गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में नई कंपोजिट बिल्डिंग बनाए जाने के लिए एक दर्जन से भी ज्यादा पेड़ काट दिए गए, जिससे आक्रोशित स्थानीय लोगों ने अनोखा विरोध-प्रदर्शन किया। लोगों ने काटे हुए पेड़ों के ठूंठ को कफन ओढ़ाकर रक्षा सूत्र भी बांधा।

दरअसल वर्तमान जिला कलेक्टर कार्यालय के ठीक पास ऐतिहासिक धरोहर गुरूकुल परिसर में ही नया कंपोजिट भवन बनाया जाना प्रस्तावित है। यहां 100 साल से भी अधिक पुराने पेड़ हैं और यह वही जगह है, जहां सेनेटोरियम अस्पताल में अपनी पत्नी का इलाज कराने के लिए साल 1902 में गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर पहुंचे थे। प्रशासन ने इन्हीं पेड़ों को काटकर कंपोजिट बिल्डिंग बनाए जाने का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके लिए एसडीएम पेंड्रा रोड ने फिलहाल पहले चरण में 8 पेड़ों को काटने की अनुमति दी।

वहीं रविवार की छुट्टी का फायदा उठाते हुए ठेकेदार और लोक निर्माण विभाग ने धड़ल्ले से करीब एक दर्जन पेड़ों को काट दिया। जिसका विरोध लोगों ने अधिकारियों को फोन पर दर्ज कराया, लेकिन अधिकारी बहानेबाजी में जुटे रहे। अधिकारियों की ओर से कोई पहल नहीं होने पर लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया। पेड़ों को कटने की अनुमति में बरगद का 100 साल से भी ज्यादा पुराना पेड़ भी शामिल है। इसे कटने से बचाने के लिए लोगों ने बरगद के पेड़ को रक्षा सूत्र बांधकर विरोध दर्ज कराया।

लोगों का कहना है कि इसी परिसर के आसपास और जिले में कई ऐसी दूसरी जगहें हैं, जहां पर कंपोजिट बिल्डिंग बनाई जा सकती है। ऐसा कर गुरुकुल और सेनेटोरियम परिसर की हरियाली को बचाया जा सकता है। वहीं इस कटाई को लेकर लोगों ने एनजीटी और केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को ऑनलाइन माध्यम से भी शिकायत की है। बता दें कि ये वही जगह है, जिसका जिक्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पेंड्रा दौरे के दौरान किया था।

वहीं विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत भी इस जगह की महत्ता को हमेशा अपने संबोधन में बताते रहे हैं। 400 साल पुराने जिस बरगद के नीचे बैठकर गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने अपनी रचनाएं लिखीं, उस बरगद को काटने की अनुमति भी प्रशासन ने दे दी है। जिला कार्यालय भवन के लिए हरे-भरे वृक्षों की बलि चढ़ाई जा रही है। यह वृक्ष 200 से 400 साल वर्ष पुराने हैं। हरे-भरे औषधीय महत्व के विशाल हर्रा बहेरा के वृक्षों की कटाई भी की जा रही है, जिसका लोग विरोध कर रहे हैं। वहीं मरवाही वन मंडल के डीएफओ सत्यदेव शर्मा का कहना है कि उन्हें पेड़ कटाई की जानकारी नहीं है।

लोगों का कहना है कि गुरुकुल विद्यालय सेनेटोरियम परिसर का अपना ऐतिहासिक महत्व है। यहां कभी अच्छे जलवायु के कारण दूर-दूर से लोग इलाज कराने आया करते थे। नोबेल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर भी अपनी पत्नी के टीबी का इलाज कराने इसी सेनेटोरियम अस्पताल में आए थे।

8 वृक्षों को काटने की अनुमति

एसडीएम ने बरगद, बहेरा, आम और इमली के 8 वृक्षों को काटने की अनुमति दी है। पेंड्रा रोड के SDM ने PWD के एसडीओ को अनुमति दी है, जिसके बाद हरे-भरे वृक्षों की कटाई शुरू कर दी गई है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि यहां 8 से ज्यादा पेड़ काट दिए गए हैं।