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छोटी नाव से उफनदी नदी पार कर रही सैकड़ों जिंदगी:इंद्रावती घाट पर न मोटर बोट न लाइफ जैकेट, सुरक्षा इंतजाम का दावा गलत

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Acn18.com/मानसून खत्म होने को है। बस्तर की इंद्रावती नदी भी शबाब पर है। हर दिन सैकड़ों जिंदगियां लकड़ी की छोटी नाव के सहारे उफनती नदी को पार कर रही है। नाव पलटने से हादसे भी हो रहे हैं। लेकिन इस मानसून भी प्रशासन ने इंद्रावती नदी के घाटों पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए हैं।

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न ही मोटर बोट की व्यवस्था है और न ही लाइफ जैकेट की। अगर हादसा होता है तो रेस्क्यू करने SDRF की भी एक ही टीम है। उनके पास भी सिर्फ एक ही मोटर बोट है। अब हादसों के बाद भी प्रशासन सबक नहीं ले रहा है।

इंद्रावती नदी पार बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर तीनों जिले के गांव बसे हैं। छिंदनार और बड़े करका घाट में पुल बन गया है, जिससे थोड़ी राहत है। लेकिन, बारसूर के मुचनार और कोडेनार घाट से ग्रामीण अब भी छोटी नाव के सहारे नदी पार करते हैं। इन दोनों घाट से कौशलनार, मंगनार, तुमरीगुंडा, हांदावाड़ा, कोडेनार समेत अन्य गांव के हजारों ग्रामीण जरूरत के सामानों को लाने के लिए यही नाव ही एक सहारा है।

इस संबंध में जब टीम ने गीदम SDM अभिषेक तिवारी से बात की तो उन्होंने दावा किया कि मुचनार और कोडेनार घाट में हमने सारी व्यवस्था कर रखी है। लेकिन जब हम इन दोनों घाटों पर पहुंचे तो हमें न प्रशासन की तरफ से ग्रामीणों को दिया मोटर बोट मिला और न ही लाइफ जैकेट। यहां मौजूद इंद्रावती नदी पार के गांव वालों ने बताया कि, सिर्फ लकड़ी की नाव ही सहारा है।

ग्रामीण बोले- मजबूरी है

बारिश में कोई भी ग्रामीण लकड़ी की नाव से नदी पार करना नहीं चाहता है। लेकिन, इलाज करवाने, राशन के लिए मजबूरी भी होती है। यहां मौजूद कुछ ग्रामीणों ने बताया कि, 3-4 साल पहले जब हादसा हुआ था, उस समय प्रशासन ने एक मोटर बोट दी थी।

टेनेंस के अभाव में वो भी खराब पड़ी है। उस समय लाइफ जैकेट भी दिए थे। वो भी अब नहीं है। गांव वालों के रुकने के लिए मुचनार घाट में 2 कमरे भी बनाए गए हैं। लेकिन, उसमें न तो लाइट की सुविधा है और न ही साफ-सफाई है।

बोट मांगे तो नक्सली मार देंगे

ग्रामीणों के मुताबिक हम खुलकर अपनी तरफ से प्रशासन से मोटर बोट की मांग भी नहीं कर पाते। मांग करेंगे तो हमें नक्सली मार देंगे और बारिश में इसी तरह लकड़ी की छोटी नाव से नदी पार करेंगे तो हादसे का खतरा बना रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि घाट पर मोटर बोट की व्यवस्था होती है तो फोर्स का मूवमेंट भी इलाके में ज्यादा होता है। क्योंकि इंद्रावती नदी पार का पूरा इलाका माओवादियों का गढ़ है।

बारिश में परिवार के सभी सदस्य एक साथ नहीं करते नदी पार

बरसात के समय इंद्रावती नदी उफान पर होती है। 2-3 दिन की अच्छी बारिश में ही नदी का जल स्तर बढ़ जाता है। ऐसे में बहुत जरूरी हो तभी नाव के सहारे नदी पार करते हैं। लेकिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ नहीं जाते। क्योंकि नाव पलटने का खतरा भी बना रहता है।

इंद्रावती नदी घाटों में अब तक 55 की मौत

सरकारी आंकड़ों की बात करें तो पिछले कुछ सालों में बीजापुर के सतवा, दंतेवाड़ा के मुचनार, करका, पाहुरनार, फुंडरी सहित अन्य घाटों में नाव पलटने से 55 से ज्यादा मौतें हुई है। कई ग्रामीणों के शव आज तक नहीं मिले हैं। इंद्रावती नदी पार के लगभग 70 से ज्यादा गांव में 30 हजार से ज्यादा की आबादी निवास करती है। पुल बनने से कुछ गांव के ग्रामीणों को राहत जरूर मिली है।

SDM बोले- छोटी नाव को करेंगे जब्त

SDM अभिषेक तिवारी के मुताबिक इंद्रावती नदी पर जितनी भी लकड़ी की नाव है उसे जब्त कर लिया जाएगा। बारिश में नदी पार करने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। SDRF की टीम को भी सतर्क रहने को कहा है। नाव पलटने की कोई भी स्थिति होती है तो तुरंत उन्हें रेस्क्यू के लिए तैयार किया जाएगा।

एक दिन पहले हुआ था हादसा

इंद्रावती नदी में शुक्रवार की दोपहर नाव पलट गई थी। नाव में सात ग्रामीण सवार थे। हादसा कोडेनार घाट में हुआ था। तेज लहरों की वजह से ग्रामीण बहते हुए मुचनार घाट तक पहुंच गए थे। हालांकि, किसी तरह से 3 लोग उसी समय तैरकर बाहर निकल गए। अन्य 4 ग्रामीण नदी के बीच स्थित झाड़ियों में फंसे रहे। करीब साढ़े चार घंटे बाद अन्य 4 लोगों को SDRF की टीम ने सुरक्षित निकाल लिया था।

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