रायपुर में रविवार को सम्मान समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें मुंबई हमला 26/11 की आई विटनेस देविका रोटावन को भी साहसी गर्ल के रूप में अवॉर्ड देकर सम्मानित किया गया। देविका को छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर आतंकी कसाब ने दाहिने पैर में गोली मारी थी, लेकिन बेहोश होने से पहले उसने उसका चेहरा देख लिया था, बाद में उसी की गवाही ने कसाब को फांसी की सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
भारत 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकी हमले के जख्म को कभी भुला नहीं सकता। 10 आतंकियों ने 3 दिनों तक मुंबई में अपनी बंदूकों से अंधाधुंध फायरिंग की। इस घटना में करीब 164 देशी-विदेशी नागरिक और 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। एक आतंकी अजमल कसाब को पुलिस वालों ने जिंदा पकड़ा लिया था, जिसे बाद में फांसी दी गई। 9 साल की देविका रोटावन को भी गोली लगी थी, वो कसाब को पहचानने वाली सबसे छोटी गवाह थी।
देविका रोटावन रविवार की शाम एक सम्मान समारोह में रायपुर पहुंचीं। यहां उन्हें सम्मानित किया गया। इस मौके पर दैनिक भास्कर ने उनसे खास बातचीत की। जिसमें उन्होंने अपने 26/11 से जुड़े अनुभव को शेयर किया। इसके साथ ही कसाब के सामने खड़े होकर उसके खिलाफ गवाही के किस्से को भी बताया।
सवाल- इतने बड़े आतंकवादी हमले की यादों से कैसे बाहर निकल पाईं?
जवाब- आज इस मुंबई हादसे को 15 साल हो गए। जब भी उसे हादसे के बारे में सोचती हूं, तो थोड़ा घबरा जाती हूं। ये हादसा मेरे जेहन में बैठा हुआ है, शायद ही मैं इससे कभी बाहर निकल पाऊं। मेरे सामने कई लोगों को आतंकवादियों ने गोलियों से भून दिया। छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर आतंकवादी अजमल कसाब ने मुझे भी गोली मारी थी। मैं इस हादसे को कभी भूल नहीं पाऊंगी।