Acn18.com/सावन महीने के 5वें सोमवार को उज्जैन में भगवान महाकाल की सवारी निकली जा रही है। बाबा महाकाल आज होलकर मुखारविंद स्वरूप में प्रजा को दर्शन देने निकले हैं। सवारी के पहले महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में घनश्याम पुजारी ने पूजन किया। सवारी में पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिवतांडव और नंदी रथ पर उमा महेश भी शामिल हैं।
सभा मंडप में पूजा के बाद महाकाल की सवारी नगर भ्रमण पर निकली। सबसे पहले मंदिर के मुख्य द्वार पर डोल रथ पर सवार होलकर स्टेट मुखारविंद को सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने सलामी दी। सवारी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हैं।
क्षिप्रा तट पर सवारी का पूजन-अभिषेक
सवारी तय मार्ग से क्षिप्रा तट पर पहुंची। यहां पर मोक्षदायिनी क्षिप्रा के जल से भगवान का पूजन-अभिषेक किया गया। यहां से सवारी परंपरागत मार्ग से रवाना हो गई। इस दौरान नदी के दोनों घाट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। नदी के दूसरे तट पर स्थित दत्त अखाड़ा की ओर से भी बाबा महाकाल का पूजन अखाड़े के महंत ने किया।
दान-धर्म की प्रेरणा देता है महाकाल का होलकर मुखारविंद स्वरूप
सावन महीने की 5वीं सवारी में बाबा महाकाल होलकर मुखारविंद के रूप में निकले हैं। महाकाल का ये रूप दान-धर्म की शिक्षा देता है। दरअसल होलकर राजवंश की ओर से यह मुखारविंद महाकाल मंदिर को भेंट किया गया था, इसलिए इसका नाम होलकर मुखारविंद रखा गया। यह भक्तों को दान करने के लिए प्रेरित करने वाला माना जाता है।
आमतौर पर हर साल भादौ की दूसरी और आखिरी सवारी में भगवान महाकाल के होलकर रूप में दर्शन होते हैं। यह स्वरूप डोल रथ पर सवार होता है। इस बार अधिकमास होने से पांचवीं सवारी होलकर स्वरूप में निकाली जा रही है। मान्यता है कि होलकर राजघराने से अहिल्या माता दान करती थीं। वह शिवभक्त होने के कारण दान की प्रकृति सिखाती हैं।
महाकाल के दर्शन को उमड़े लाखों श्रद्धालु
श्रावण माह का आज पांचवां सोमवार है। उज्जैन में तड़के 2.30 बजे महाकालेश्वर के पट खुलते ही मंदिर भगवान शिव के जयकारों से गूंज उठा। रात 12 बजे से भक्त लाइन में लगना शुरू हो गए थे। दोपहर 12 बजे तक 2.5 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। आज दिनभर में 5 लाख भक्तों के पहुंचने की उम्मीद है।
दर्शन का सिलसिला रात 10.45 पर शयन आरती के बाद समाप्त होगा। बाबा महाकाल लगातार 20 घंटे तक भक्तों को दर्शन देंगे।
तड़के भस्म आरती में बाबा महाकाल को दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बने पंचामृत से अभिषेक पूजन कर भस्म अर्पित की गई। भगवान महाकाल का भांग, चंदन और आभूषणों से राजा स्वरूप में दिव्य श्रृंगार कर आरती की गई।
40 मिनट में दर्शन की व्यवस्था
मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि भक्तों की भीड़ बढ़ने की संभावना है। इसके लिए भक्तों को 40 मिनट में दर्शन मिल सकें, इसके इंतजाम किए गए हैं। मंदिर के महेश पुजारी ने बताया कि अल सुबह भस्म आरती में भगवान महाकाल पहला पूजन किया गया। गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का जलाभिषेक कर दूध, दही, घी, शक्कर, शहद से बने पंचामृत से भगवान महाकाल पूजन किया।
हरि ओम जल चढ़ाकर कपूर आरती के बाद भांग, चंदन, अबीर के साथ महाकाल ने मस्तक पर ऊं चंद्र और त्रिपुण्ड अर्पित कर राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया। श्रृंगार पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्मी रमाई गई।