acn18.com कोरबा/ रंगो का पर्व होली नजदीक है। सभी इस पर्व को मनाए जाने में लगे हुए है। लेकिन कोरबा जिले में एक ऐसा गांव है जहां पिछले 150 सालों से लोगों ने होली नहीं खेली। ग्राम खरहरी में होली नहीं खेलने का इतिहास काफी पुराना है। मान्यता है,कि गांव में रंग गुलाल खेलने से देवी नाराज हो जाती है और उसका परिणाम पूरे गांव के लोगों को भुगतना पड़ता है।
कोरबा जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ग्राम खरहरी. इस गांव में पिछले 150 सालों से होली का त्यौहार नहीं मनाया गया है.गांव के बुजुर्गों का मानना है कि उनके जन्म के काफी समय पहले से ही इस गांव में होली ना मनाने का रिवाज है.होली के दिनों में कभी रंग गुलाल नही उड़ाते,और न ही होलिका दहन की जाती है. इस गांव में 650 से 700 लोग रहते हैं. गांव के बुजुर्गों के अनुसार यहां सालों पहले होलिका दहन के दिन भीषण आग लग गई थी,गांव के घरों के ऊपर बड़े-बड़े आग के गोले गिर रहे थे. गांव के हालात बेकाबू हो गए थे. गांव में महामारी फैल गई थी. इस दौरान गांव के लोगों का भारी नुकसान हुआ और हर तरफ अशांति फैल गई. इसके बाद गांव के एक बैगा के सपने में देवी मां मड़वारानी ने इस विनाश से बचने का उपाय बताया, कि गांव में होली का त्यौहार न मनाया जाए तभी से इस गांव में होली का त्यौहार नहीं मनाया जाता।
ग्रामीणों ने बताया कि ना तो गांव में होलिका दहन होता है और ना ही रंग गुलाल खेले जाते है. गांव में किसी को नहीं मालूम कि आखरी बार कब होली मनाई गई थी. होली खेलने से कब गांव में आग लगी किसकी मौत हुई ग्रामीणों को नही पता. होली नही मनाने का रिवाज पूर्वजो से सुनते आ रहे हैं इसलिए पिछले 150 साल से गांव में किसी ने होली मनाई. गांव के बुजुर्जो का मानना है कि नियम तोड़कर रंग गुलाल खेलने वालों पर माता का कहर टूट पड़ता है और बीमार हो जाते हैं. बड़ों से लेकर छोटे तक हर कोई इस नियम का पालन करता है।