Acn18.com/देशभर में मंगलवार 19 सितंबर को गणेश उत्सव पर विघ्नहर्ता की प्रतिमाएं विराजमान होंगी। रायपुर में भी तैयारियां अंतिम चरण पर चल रही है। यहां गणेश स्थापना का इतिहास 125 साल से अधिक है। राजधानी के चौक-चौराहों पर छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 15 हजार से ज्यादा प्रतिमाएं स्थापित होंगी।
गणेश प्रतिमा की स्थापना से पहले मूर्तियों को सजाने का काम देर रात तक चल रहा है। माना स्थित मूर्तिकारों के चॉल पर इस बार बड़ी संख्या में प्रतिमाएं बनाने का काम किया गया है। इस बार अलग-अलग अवतारों में भगवान लम्बोदर की प्रतिमाएं विराजमान होंगी।
इस अवतार में ज्यादा बनाई गई प्रतिमाएं
राजधानी के मूर्तिकारों ने बताया कि इस बार राजधानी में भगवान के अलग-अलग अवतारों में गणपति बप्पा की मूर्ति तैयार की गई है। इनमें शिव, कृष्ण, बालाजी, अर्धनारीश्व, गणपति के बाल स्वरूप के साथ राम दरबार और भगवान श्री राम के अवतार में गणपति की मूर्तियों का निर्माण किया गया है।
इस बार अच्छा चल रहा व्यवसाय
मूर्तिकारों ने बताया कि इस गणेश उत्सव में मूर्तियां बनाने का काम अच्छा मिला है। कोरोना संक्रमण के बाद से मूर्ति के व्यवसाय का काम 2 सालों तक ज्यादा प्रभावित रहा था लेकिन इस साल अच्छा व्यवसाय हो रहा है। बड़ी संख्या में मूर्ति खरीदने लोग पहुच रहे हैं।
पंडाल में मूर्ति लाने का सिलसिला शुरू
पंडाल में गणपति बप्पा की मूर्तियों को लाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। शहर की अलग अलग गणेश समितियां बैंड-बाजों के साथ प्रतिमाओं को अपने पंडाल पर स्थापित कर रही हैं।
गणेश स्थापना का इतिहास 125 साल से ज्यादा
इतिहासकार रमेन्द्र नाथ मिश्र के मुताबिक रायपुर में गणेश उत्सव का इतिहास लगभग 125 साल पुराना है। रायपुर में सबसे पहले पुरानी बस्ती गुढ़ियारी और बनियापारा में गणेश प्रतिमा स्थापित कर उत्सव मनाने की शुरुआत हुई। बनियापारा में रहने वाले महरु दाऊ और लोहारपारा के शुकरु लोहार परिवार में बप्पा की प्रतिमा स्थापित करने का लंबा इतिहास रहा है।
धीरे-धीरे शहर में गणेश उत्सव मनाने के लिए समितियां बढ़ने लगी और गोल बाजार, सदर बाजार, रामसागर पारा में गणेश प्रतिमाएं रखने की शुरुआत हुई और आज गणेश उत्सव का पर्व राजधानी रायपुर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
अंग्रेजों के खिलाफ तैयार होती थी रणनीति
इतिहासकार रमेन्द्र नाथ मिश्र ने बताया ” रायपुर में गणेश उत्सव का आयोजन महत्वपूर्ण हुआ करता था। जिस तरह बाल गंगाधर तिलक ने गणेश प्रतिभा स्थापित कर राष्ट्रीय चेतना जगाने का काम किया था। उसी तरह रायपुर में भी इस आयोजन का मकसद राष्ट्रीय चेतना और अंग्रेजों के विरुद्ध रणनीति तैयार करना हुआ करता था। गणपति उत्सव के आयोजनों में शहर के कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी भाग लिया करते थे’।