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दिल्ली में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई:कोर्ट ने केंद्र से पूछा- स्टेज 3 की पाबंदियां लागू करने में 3 दिन की देरी क्यों हुई

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दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब-तलब किया है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सोमवार को केंद्र सरकार से पूछा- ‘जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 से 400 के बीच पहुंचा, तो स्टेज 3 की पाबंंदियां लागू करने में तीन दिन की देरी क्यों हुई? आप हमें गाइडलाइन बताएं।’

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केंद्र सरकार ने कहा कि अब तो स्टेज 4 की पाबंदियां लागू करने की स्थिति बन गई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार इसे कैसे लागू करेगी, हमें बताए। हम यहां स्पष्ट कर दे रहे हैं कि आप हमारी इजाजत के बगैर स्टेज 4 से नीचे नहीं आएंगे। भले ही AQI 300 से नीचे ही क्यों ना आ जाए।

जस्टिस एएस ओका:

हम यह देखना चाहते हैं कि दिल्ली सरकार स्टेज 3 कैसे लागू कर रही है?

केंद्र:

जब AQI 300 से 400 के बीच होता है तो स्टेज 3 लागू कर दी जाती है।

कोर्ट:

जब यह इस रेंज में पहुंच गया तो स्टेज 3 लागू कर दिया जाता है। आप 3 दिन की देरी कैसे कर सकते हैं? हमें गाइडलाइन बताइए।

सुप्रीम कोर्ट:

स्टेज 2 कब लागू की गई थी। यह 300 के पार कब पहुंचा।

केंद्र:

300 के पार 12 नवंबर को गया।

सुप्रीम कोर्ट:

तो आपने 3 दिन इंतजार किया?

केंद्र: हमें मौसम विभाग ने बताया था कि यह कुछ दिनों में नीचे आ जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट:

क्या ऐसी गंभीर परिस्थितियों में कोई मौसम विभाग पर भरोसा कर सकता है? आप 3 दिन देरी कैसे कर सकते हैं?

केंद्र:

अब तो स्टेज 4 लागू हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट:

अब दिल्ली सरकार हमें बताए कि आप इसे कैसे लागू कर रहे हैं? हम यहां स्पष्ट कर दे रहे हैं कि आप हमारी इजाजत के बगैर स्टेज 4 से नीचे नहीं आएंगे। भले ही AQI 300 से नीचे ही क्यों ना आ जाए।

याचिका में बढ़ते प्रदूषण को रोकने की मांग यह मामला एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह की अपील पर लिस्ट किया गया है। जिन्होंने दिल्ली में मौजूदा स्थिति को देखते हुए तत्काल सुनवाई की मांग रखी थी।

14 नवंबर को एमिकस क्यूरी ने कहा था- प्रदूषण के लिए दिल्ली सरकार ने कुछ भी नहीं किया, हालात गंभीर हैं। दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर नहीं बनना चाहिए।

मामला दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के प्रबंधन से भी जुड़ा है, जिसे एमसी मेहता ने दायर किया है। इसमें NCR राज्यों में वाहनों से होने वाले प्रदूषण, इसका मैनेजमेंट और पराली जलाने जैसे मुद्दों को रखा गया है।

पिछली सुनवाई और कोर्ट के 3 बयान

1 नवंबर की सुबह दिल्ली में AQI 300 के पार दर्ज किया गया था। तब से यह लगातार बढ़ा है। 18 नवंबर को AQI 495 तक पहुंच गया।

  • 14 नवंबर : खतरनाक हालत में पहुंचने से पहले एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाए बेंच ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) से पूछा था कि एयर क्वालिटी के सीवियर कैटेगरी में पहुंचने से पहले एहतियाती कदम क्यों नहीं उठाए गए। दरअसल एमिकस क्यूरी ने कहा था- CAQM को स्पष्टीकरण देना चाहिए कि उन्होंने AQI को खराब होने देने से पहले GRAP-फेज 3 को क्यों नहीं लागू किया।
  • 11 नवंबर: कोई धर्म प्रदूषण बढ़ाने वाली गतिविधि का समर्थक नहीं, स्वच्छ हवा मौलिक अधिकार दीवाली के दौरान पटाखों पर बैन के आदेश के उल्लंघन पर कहा था कि कोई भी धर्म प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों का समर्थन नहीं करता है। दिल्ली सरकार दो हफ्तों में यह तय करे कि पटाखा बैन को पूरे साल के लिए बढ़ाया जाए या नहीं। कोर्ट ने कहा- स्वच्छ वातावरण में रहना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
  • 4 नवंबर: कुछ ऐसा करना होगा जिससे अगले साल भी पटाखों पर प्रतिबंद के आदेश का उल्लंगन न हो बेंच ने कहा कि हमें कुछ ऐसे कदम उठाने होंंगे, जिससे अगले साल दिवाली के दौरान पटाखों पर प्रतिबंध के आदेशों का उल्लंघन न हो। बेंच ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि बैन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कैंपस सील करने जैसी सख्त कार्रवाई की जरूरत है।
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