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हाथरस कांड: छाती दबाई… मुंह से सांस दी, फिर भी न बची जान; कीचड़ से महिलाओं-बच्चों को निकालने वाले की जुबानी

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Acn18.com/हाथरस के सिकंदराराऊ के नेशनल हाईवे स्थित गांव फुलरई मुगलगढ़ी के सहारे खेतों में आयोजित नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के समापन के बाद मची भगदड़ में करीब 124 लोगों की मौत हो गई। मंगलवार दोपहर यह हादसा उस समय हआ, जब भोले बाबा के काफिले के निकलते समय उनकी चरण धूल लेने के लिए अनुयायियों में अफरा-तफरी मच गई।

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भगदड़ के बीच हाईवे के सहारे के कीचड़युक्त खेत में तमाम लोग गिर गए और उनके ऊपर से भीड़ गुजर गई। हादसे के बाद मची चीख पुकार के बीच अफरा-तफरी भरे माहौल में शवों व घायलों को सिकंदराराऊ के ट्रामा सेंटर और एटा के मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। मरने वालों में महिलाओं और बच्चों की संख्या अधिक है।

वहीं, हाथरस के सिकंदराराऊ के निवासी 30 वर्षीय राहुल उन लोगों में शामिल हैं, जो सड़क किनारे गड्ढे में गिरने वाले श्रद्धालुओं को निकालने में मददगार रहे।

वह बताते हैं कि महिलाओं-बच्चों के मुंह-नाक में कीचड़ भर गया था। सांसें थम गई थीं। हाथों से उनकी छाती-पीठ पर खूब दबाव दिया। दो-तीन महिलाओं के मुंह में मुंह लगाकर सांसें फूंकी, फिर भी उनकी जिंदगी न बच सकी।

यह बताते हुए कुछ सेकंड के लिए वह कांपने लगे। पास खड़े लोगों ने कंधे पर हाथ रखकर हौसला बढ़ाया। राहुल ने बताया कि पहली बार बाबा का प्रवचन सुनने पहुंचे थे। जीटी रोड पर करीब चार सौ मीटर कानपुर की तरफ थे जब भगदड़ मची।

लोग सड़क के एक ओर गिरने लगे। तेज शोर मचने लगा। इस पर वह भागकर पास पहुंचे। बारिश की वजह से सड़क की पटरी से नीचे खेत से पहले गड्ढा है। भीड़ के दबाव में सड़क किनारे खड़े लोग उसी में गिर रहे थे।

लोग उन्हें निकाल रहे थे। वह भी भीड़ में लोगों को पानी-कीचड़ भरे गड्ढे से निकालने में जुट गए। 224-25 महिलाओं-बच्चों को कीचड़ से निकालकर आगे खेत में लिटाया। कुछ महिलाओं-बच्चों की छाती-पीठ पर हाथों से खूब दबाव डाला ताकि सांसें लौट सकें।

कुछ लोगों ने कहा तो मुंह से मुंह लगाकर खूब सांसें भरीं लेकिन उन महिलाओं-बच्चों की सांसें नहीं लौटीं। जो मर चुके थे, उन्हें करीब डेढ़ सौ मीटर दूर सड़क किनारे पहुंचाते रहे। राहुल ने कहा कि शायद ईश्वर ने इस मदद के लिए उन्हें भी चुना। जो घायल बचाए, उनकी जिंदगी बच जाए तो उनके जीवन का यही सबसे बड़ा पुण्य हो जाएगा।

आधार कार्ड तलाशते रहे ताकि मृतकों के परिवार तक पहुंचा सकें सामान
मृतकों, घायलों का सामान गड्ढे से निकालकर बगल के चरी के खेत में लोगों ने डाल दिया था। उस सामान में राहुल लोगों के आधार कार्ड तलाशते रहे थे, ताकि ऐसे लोगों और उनके परिवार तक वह सूचना और सामान पहुंचा सकें। हालांकि कई झोले, बैग और कपड़ों को तलाशने पर भी उन्हें एक भी आधार कार्ड नहीं मिला।

पोस्टमार्टम के लिए पूरे जिले से बुलाए चिकित्सक और कर्मचारी
हादसे की जानकारी होते ही सीएमओ सहित एसीएमओ मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में जा पहुंचे। जैसे- जैसे घायल आते गए और उन्हें मृत बता पोस्टमार्टम में भेजा जाता रहा।

शव इतने अधिक थे कि जिला मुख्यालय के चिकित्सक कम पड़ गए। जिले भर से चिकित्सकों और कर्मचारियों को बुलाया गया। पोस्टमार्टम की प्रक्रिया में 10 चिकित्सक लगाए गए।

हाथरस जनपद में हुई घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया था। इमरजेंसी में तत्काल चिकित्सकों को बुला लिया गया। इस दौरान चार घायलों का उपचार किया गया।

वहीं मृतकों के पोस्टमार्टम के लिए सकीट, जैथरा, मारहरा, निधौलीकलां, अवागढ़ आदि स्थानों से चिकित्सकों को बुला लिया गया।

वहीं पोस्टमार्टम हाउस पर ही शव के पंचनामा की प्रक्रिया की गई। देर शाम पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान सीएमओ डॉ. उमेश त्रिपाठी सहित एसीएमओ डॉ. राम मोहन तिवारी की देखरेख में पोस्टमार्टम कराया गया।

मैनपुरी और कासगंज से मंगाए शव वाहन
जिले में शव वाहन दो ही हैं। पोस्टमार्टम के बाद शवों को भेजना था। सीएमओ ने मैनपुरी सहित कासगंज के सीएमओ से संपर्क कर वहां से शव वाहन मंगाए। वहीं 4 प्राइवेट वाहन मंगाए गए। इसके अलावा 5 एंबुलेस को शवों को ले जाने के लिए लगाया गया। सीएमओ ने बताया कि शाहजहांपुर के शवों को एंबुलेंस से भेजा गया है। कासगंज के शव भी एंबुलेंस से भेजे गए हैं।

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