Acn18.com/इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे की इजाजत दे दी। हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका खारिज करते हुए सेशन कोर्ट के आदेश का तत्काल पालन करने, यानी सर्वे शुरू करने का ऑर्डर दिया। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने कहा- न्याय के लिए यह सर्वे जरूरी है। कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की जरूरत है। सर्वे करिए, लेकिन बिना खुदाई किए।
फैसले के बाद वाराणसी में ASI टीम और जिला प्रशासन की मीटिंग हुई। DM एस. राजलिंगम ने बताया कि कल यानी शुक्रवार से दोबारा सर्वे शुरू होगा।
मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। उनके वकील मुमताज अहमद ने यह जानकारी दी।
इससे पहले विश्व वैदिक सनातन संघ की संस्थापक सदस्य और श्रृंगार गौरी मुकदमे की मुख्य याचिकाकर्ता राखी सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट में केविएट पिटीशन दाखिल कर दी गई है।
केविएट पिटीशन का मतलब मतलब है कि कोर्ट के सामने लाए गए किसी भी मामले पर फैसले से पहले उसका पक्ष भी सुना जाए।
बौद्ध धर्म गुरु का दावा- ज्ञानवापी बौद्ध मठ
वहीं बौद्ध धर्म गुरु सुमित रतन भंते ने सुप्रीम कोर्ट याचिका दाखिल की है। दावा किया है कि ज्ञानवापी उनका मठ है। उन्होंने कहा कि देश में तमाम ऐसे मंदिर हैं, जो बौद्ध मठों को तोड़कर बनाए गए हैं।
पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने ASI से सुनवाई खत्म होने तक मस्जिद का सर्वे शुरू नहीं करने को कहा था। जुलाई के अंतिम सप्ताह में कोर्ट में दोनों पक्षों की तरफ से लगातार दो दिन बहस चली थी। 27 जुलाई को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद बयानबाजी तेज, फारूक बोले- मंदिर हो या मस्जिद, सबका एक ही है
- डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सर्वे से सच्चाई बाहर आएगी। ज्ञानवापी का विवाद श्रीराम जन्मभूमि के विवाद की तरह है। निर्णय होगा…निस्तारण होगा। शिवभक्तों की मनोकामना पूरी होगी।
- समाजवादी पार्टी के सांसद डॉ. एसटी हसन ने ज्ञानवापी के सर्वे के आदेश पर कहा कि हम अदालत के आदेशों का पालन करेंगे।
- भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा, ‘ज्ञानवापी पर हाईकोर्ट का निर्णय केवल हिंदू पक्ष की जीत नहीं, बल्कि सत्य, विज्ञान, लॉजिक और पुरातत्व शास्त्र की जीत है।’
- नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘मंदिर हो या मस्जिद, वह सबका एक ही है। आप उसे मंदिर में देखें या मस्जिद में, कुछ फर्क नहीं है।’
- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि न्याय होगा, क्योंकि यह मस्जिद करीब 600 साल पुरानी है और मुसलमान पिछले 600 सालों से वहां नमाज अदा करते आ रहे हैं।’
- हरिशंकर जैन बोले- ऐसे अनगिनत साक्ष्य जो हिंदू मंदिर बताते हैं
सीनियर एडवोकेट हरिशंकर जैन ने कहा, “वहां ऐसे अनगिनत साक्ष्य मौजूद हैं जो बताते हैं कि यह एक हिंदू मंदिर था। ASI सर्वे से तथ्य सामने आएंगे। मुझे यकीन है कि असली ‘शिवलिंग’ वहां मुख्य गुंबद के नीचे छुपाया गया है। इस सच्चाई को छुपाने के लिए वे (मुस्लिम पक्ष) बार-बार आपत्ति जता रहे हैं। वे जानते हैं कि इसके बाद यह मस्जिद नहीं रहेगी और वहां भव्य मंदिर बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।” - हिमांगी सखी बोलीं- आदिविश्ववेश्वर का जलाभिषेक करूंगी
किन्नर महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के आदेश के बाद काशी विश्वनाथ पहुंचीं। उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को सही बताते हुए इसे सत्य की जीत कहा। मंदिर गेट से शंखनाद किया। इस दौरान कहा कि वह जल्द ही आदिविश्ववेश्वर का जलाभिषेक करेंगी। त्रिशूल लेकर हर-हर महादेव का जयघोष किया।
- ज्ञानवापी के 500 मीटर के दायरे में 1600 जवान तैनात
ज्ञानवापी परिसर के आसपास हलचल बढ़ गई है। ज्ञानवापी और काशी विश्वनाथ के 500 मीटर के दायरे में करीब 1600 जवान सुरक्षा में तैनात हैं। पुलिस भी अलर्ट पर है। बैरिकेडिंग बढ़ाई गई है। - क्या है ज्ञानवापी विवाद?
ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल 5 याचिकाएं दाखिल हैं। राखी सिंह और तीन अन्य महिलाओं ने वाराणसी कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर स्थित स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर के स्वामित्व को लेकर सिविल वाद दायर किया है। वाराणसी जिला और सत्र न्यायालय ने इस मामले में 8 अप्रैल 2021 को ज्ञानवापी का ASI सर्वे कराने का आदेश दिया था।इसके खिलाफ मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है। तर्क है कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 4 के तहत सिविल वाद नहीं बनता है।
हिंदू पक्ष का कहना है कि चूंकि भगवान विश्वेश्वर स्वयंभू हैं। प्रकृत्ति प्रदत्त हैं, मानव निर्मित नहीं हैं ऐसे में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा 4 इस पर लागू नहीं होती। स्वयंभू भगवान सतयुग से हैं। यहां 15 अगस्त 1947 से पहले और बाद में लगातार निर्बाध रूप से पूजा होती रही है। यही कारण है कि हिंदू पक्ष बार बार साइंटिफिक सर्वे की मांग करता है।
वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की ओर से ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे के आदेश के बाद 24 जुलाई को सर्वे शुरू हुआ। करीब 4 घंटे सर्वे चलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वे पर 26 जुलाई शाम पांच बजे तक अंतरिम रोक लगा दी।
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इस मामले से जुड़े अदालती घटनाक्रम
- अगस्त 2021: ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में रोजाना पूजा-पाठ की अनुमति के लिए पांच हिंदू श्रद्धालुओं ने वाराणसी की दीवानी अदालत में याचिका दायर की।
- 8 अप्रैल 2022: दीवानी अदालत ने परिसर के सर्वे का आदेश दिया और अजय कुमार मिश्रा को इस काम का प्रभारी नियुक्त किया।
- 13 मई 2022: उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर में सर्वेक्षण के मद्देनजर यथास्थिति रखने का अंतरिम आदेश देने से इनकार किया।
- 17 मई 2022: सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को परिसर के अंदर के क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
- 20 मई 2022: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सिविल जज से जिला जज को ट्रांसफर कर दिया।
- 14 अक्टूबर 2022: वाराणसी जिला अदालत ने ‘शिवलिंग’ जैसी आकृति की कार्बन डेटिंग की याचिका खारिज की।
- 10 नवंबर 2022: सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई के लिए एक पीठ गठित करने पर सहमत हुआ।
- 12 मई 2023: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आधुनिक तकनीक से ‘शिवलिंग’ जैसी आकृति की आयु निर्धारित करने का आदेश दिया।
- 19 मई 2023: सुप्रीम कोर्ट ने ‘शिवलिंग’ जैसी आकृति की आयु निर्धारित करने के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण के अमल को टाला।
- 21 जुलाई 2023: वाराणसी जिला अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को आवश्यक होने पर खुदाई करने सहित सर्वेक्षण का निर्देश दिया ताकि पता लगाया जा सके कि क्या मस्जिद उस स्थान पर बनाई गई थी, जहां पहले एक मंदिर था।
- 24 जुलाई 2023: उच्चतम न्यायालय ने परिसर में ASI के सर्वे पर 26 जुलाई शाम पांच बजे तक रोक लगाई, उच्च न्यायालय से मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करने को कहा।
- 27 जुलाई 2023: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ASI सर्वे पर फैसला सुरक्षित रखा। कहा- 3 अगस्त को सुनवाई होगी।
- 3 अगस्त 2023: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ASI सर्वे की इजाजत दी।
- सर्वे का मामला: एक नजर में
अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज के सामने एक केस दायर किया था। इसमें उन्होंने ज्ञानवापी के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी। महिलाओं की याचिका पर जज ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश पर पिछली साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था।सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था। दावा था कि ज्ञानवापी के वजूखाने में शिवलिंग है। हालांकि मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है। इस मामले की सुनवाई कोर्ट में पूरी हो गई थी। जिला जज ने ऑर्डर रिजर्व कर लिया था। 16 मई 2023 को चारों वादी महिलाओं की तरफ से हिंदू पक्ष ने एक प्रार्थना पत्र दिया था, जिसमें मांग की गई थी कि ज्ञानवापी के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर की ASI से जांच कराई जाए। 21 जुलाई को इसी याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए ASI सर्वे की इजाजत दी थी।