गीता को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से स्थापित गीताप्रेस अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। अबतक विभिन्न आकार-प्रकार की गीता की 15 भाषाओं में 16.54 करोड़ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी हैं। पिछले साल आर्ट पेपर पर नए कलेवर में चार रंगों में सचित्र गीता का प्रकाशन शुरू हुआ, जो अब तक चार भाषाओं- हिंदी, गुजराती, मराठी व अंग्रेजी में पाठकों तक पहुंच चुकी है। इसे भी 15 भाषाओं में प्रकाशित किया जाएगा। इसमें दो भाषाओं- बांग्ला व तेलुगु का संस्करण तैयार है। इसे जनवरी 2022 में पाठकों को उपलब्ध करा दिया जाएगा।
गोरखपुर की पहचान है गीताप्रेस
गीताप्रेस आज गोरखपुर की पहचान है। मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष एकादशी को गीता कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण के मुख से उत्पन्न हुई। सौ वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश के अति पिछड़े जनपद गोरखपुर ने इसके प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी उठाई। कोलकाता के सेठ जयदयाल गोयंदका इसके वाहक बने। उन्होंने शुद्धतम गीता के प्रकाशन के लिए 1923 में गोरखपुर में प्रेस की स्थापना की जिसे आज गीताप्रेस के नाम से जाना जाता है।
रोचक है गीताप्रेस की स्थापना की कहानी
गीताप्रेस की स्थापना की कहानी बड़ी रोचक व प्रेरित करने वाली है। लगभग 1921 में कोलकाता में सेठ जी जयदयाल गोयंदका ने गोविंद भवन ट्रस्ट की स्थापना की थी। इसी ट्रस्ट के तहत वहीं से वह गीता का प्रकाशन कराते थे। शुद्धतम गीता के लिए प्रेस को कई बार संशोधन करना पड़ता था। प्रेस मालिक ने एक दिन कहा कि इतना शुद्ध गीता प्रकाशित करवानी है तो अपना प्रेस लगा लीजिए। गोयंदका ने इस कार्य के लिए गोरखपुर को चुना। 1923 में उर्दू बाजार में दस रुपये महीने के किराए पर एक कमरा लिया गया और वहीं से शुरू हो गया गीता का प्रकाशन। धीरे-धीरे गीताप्रेस भवन का निर्माण हुआ। जिसके मुख्य द्वार व लीला चित्र मंदिर का उद्घाटन 29 अप्रैल 1955 को भारत के तत्कालीन व प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने किया था। शताब्दी वर्ष समारोह का उद्घाटन करने इस वर्ष चार जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द आए थे।
आज भी रखी है पहली छपाई मशीन
गीता का प्रकाशन जिस मशीन से गोरखपुर में शुरू हुआ, वह मशीन आज भी लोगों के दर्शनार्थ लीला चित्र मंदिर में रखी हुई है। बाहर से आने वाले लोगों को जब यह पता चलता है कि इसी मशीन से गोरखपुर में पहली गीता प्रकाशित हुई थी तो लोग उस मशीन को प्रणाम करते हैं और उसके प्रति आदर भाव प्रकट करते हैं।
क्या कहते हैं गीताप्रेस के प्रबंधक
गीताप्रेस के प्रबंधक डॉ. लालमणि तिवारी ने बताया कि गीताप्रेस से 15 भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। आर्ट पेपर पर प्रकाशित होने वाली गीता को भी सभी भाषाओं में प्रकाशित किया जाएगा। चार भाषाओं में इसका प्रकाशन हो चुका है। आगामी जनवरी में दो अन्य भाषाओं में भी संस्करण निकाले जाएंगे। इसकी तैयारी पूरी हो गई है।
अब तक विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित गीता की प्रतियां
- हिंदी-संस्कृत- 11,54,59,750
- अंग्रेजी- 38,12,650
- तेलुगु- 91,87,500
- बांग्ला- 67,92,500
- मराठी- 29,46,500
- असमिया- 2,48,500
- तमिल- 18,68,900
- नेपाली- 85,000
- गुजराती- 1,20,72,000
- मलयालम- 3,53,000
- कन्नड- 37,69,200
- उड़िया- 88,63,800
- पंजाबी- 3,000
- उर्दू- 27,000
- दुखद: विजय सेतुपति की फिल्म के सेट पर हुआ हादसा, 20 फुट की ऊंचाई से गिरकर स्टंटमैन की मौत