प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के पूर्व चेयरमैन रवि नारायण को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी अवैध फोन टैपिंग और को-लोकेशन स्कैम में की गई है। ED सूत्रों के मुताबिक, फोन टैपिंग मामले में एजेंसी ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वे नहीं गए। एजेंसी का कहना है कि नारायण जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे।
नारायण 1993 से 2014 के दौरान NSE के कई पदों पर रहे। इसी मामले में ED ने पहले मुंबई पुलिस कमिश्नर संजय पांडेय को गिरफ्तार किया था। NSE की चीफ चित्रा रामकृष्णन से भी ED ने इस मामले में पूछताछ की थी। वे अभी एजेंसी की कस्टडी में हैं। ED ने CBI की FIR के आधार पर इन लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू की थी।
ED ने इस मामले में नई दिल्ली स्थित ISEC सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, उसके अधिकारियों और डायरेक्टर्स, आनंद नारायण, अरमान पांडेय, मनीष मित्तल, तब सीनियर इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी एनालिस्ट रहे नमन चतुर्वेदी, NSE के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट रवि वाराणसी, परिसर प्रमुख महेश हल्दीपुर और अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
फोन टैपिंग केस को समझ लीजिए
गृह मंत्रालय ने NSE के कर्मचारियों के फोन की अवैध टैपिंग की बात कही थी। NSE के उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों ने 2009 से 2017 के बीच प्राइवेट कंपनी के साथ मिलकर ये फोन टैपिंग कराई थी। CBI का आरोप है कि प्राइवेट कंपनी ने साइबर स्पेस में कमजोरियों को तलाशने के नाम पर स्टडी की आड़ में ये फोन टैपिंग की।
इसके लिए NSE के अधिकारियों ने एक एग्रीमेंट जारी किया था, जो इस प्राइवेट कंपनी के फेवर में था। इसके बाद निजी कंपनी ने फोन टैपिंग के लिए मशीनें इन्स्टॉल कीं, जो कि इंडियन टेलीग्राफ एक्ट का उल्लंघन है। आरोप यह भी है कि इस फोन टैपिंग से पहले कंपनी ने टेलीग्राफ एक्ट के तहत संबंधित अधिकारियों से मंजूरी भी नहीं ली थी।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED ने NSE के पूर्व प्रमुख रवि नारायण को गिरफ्तार किया है। जानकारी के मुताबिक रवि नारायण की गिरफ्तारी एक्सचेंज से जुड़े को-लोकेशन के मामले में हुई है। रवि नारायण पर प्रवर्तन निदेशालय ने इस साल 14 जुलाई को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।