इसके अलावा भाजपा ने मैनेजमेंट टीम भी बनाई है। इसके समन्वयक गजेंद्र सिंह शेखावत हैं। सह संयोजक विनोद तावड़े और सीटी रवि बनाए गए हैं। वहीं, 11 सदस्य भी नियुक्त किए गए हैं।
विपक्ष ने अब तक क्या-क्या किया?
विपक्ष को एकजुट करने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काफी कोशिशें कर रहीं हैं। 15 जून को उन्होंने 22 विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी, जिसमें 17 दलों के नेता शामिल हुए। आम आदमी पार्टी, टीआरएस, बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस ने खुद को इस बैठक से अलग रखा। अब 21 जून को विपक्ष की बैठक है। इसकी अध्यक्षता शरद पवार करेंगे।
एनडीए में किन नामों की हो रही चर्चा?
यह जानने के लिए हमने देश की राजनीति पर अच्छी पकड़ रखने वाले प्रो. अजय कुमार सिंह से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘2014 के बाद से भाजपा वही कर रही है, जो किसी ने सोचा नहीं होगा। जैसे 2017 में रामनाथ कोविंद को अचानक राष्ट्रपति और वैंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति चुना गया।उस वक्त तक इन दोनों नाम पर कोई चर्चा नहीं थी।
इस बार भी कुछ ऐसा ही हो सकता है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश के दलित और उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू आंध्र प्रदेश के कम्मा परिवार से आते हैं। जिस वक्त रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बनाए गए, उस वक्त वह बिहार के राज्यपाल थे। ऐसे में भाजपा किसी को भी उम्मीदवार बना सकती है।’
प्रो. अजय आगे कहते हैं, ‘भाजपा के उम्मीदवारों के लिए यूं तो सटीक कह पाना ठीक नहीं होगा, हालांकि पार्टी के अंदर इन समय दस से ज्यादा नामों पर चर्चा चल रही है। इनमें पांच ऐसे नाम हैं, जिनपर सबसे ज्यादा मंथन जारी है।’
1. थावरचंद गहलोत : कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत के नाम की काफी चर्चा है। गहलोत मध्य प्रदेश के दलित समुदाय से आते हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा लगातार दूसरी बार दलित वोटर्स को साधने के लिए दलित चेहरे पर दांव खेलना चाहती है।
2. अनुसुइया उइके या द्रौपदी मुर्म : एक कयास ये भी है कि पहली बार भाजपा किसी आदिवासी चेहरे को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकती है। इसमें छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्म के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है। खास बात ये भी है कि दोनों महिलाएं हैं।
3. आरिफ मोहम्मद खान या मुख्तार अब्बास नकवी : किसी मुस्लिम चेहरे को भी राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। इनमें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी शामिल हैं। किसी मुस्लिम चेहरे को राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति बनाकर भाजपा एक संदेश देना चाहेगी। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान भी ऐसा ही हुआ था। तब भाजपा की तरफ से डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उम्मीदवार बनाया गया था।
4. इन नामों की भी चर्चा: इनके अलावा कई नामों पर मंथन चल रहा है। उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू का नाम भी चर्चा के केंद्र बिंदु में है। कहा जा रहा है कि वैंकैया नायडू को इस बार राष्ट्रपति बनाया जा सकता है। इसके जरिए भाजपा दक्षिण भारत के राज्यों का सियासी गणित साधने की कोशिश में है। वैंकैया नायडू के नाम पर विपक्ष के कई दल भी समर्थन दे सकते हैं। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को लेकर भी चर्चा हो रही है।
इसके अलावा किसी सिख को भी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की सुगबुगाहट है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस वक्त भाजपा का सिखों पर काफी फोकस है। किसान आंदोलन के बाद सिख समुदाय में भाजपा के प्रति नाराजगी बढ़ गई थी। ऐसे में संभव है कि सिख चेहरे को राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। ऐसे में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट गुरमीत सिंह का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है।
एक दक्षिण से तो दूसरा उत्तर से हो सकता है
भाजपा के राष्ट्रीय स्तर के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उम्मीदवार चाहे जो हो, लेकिन यह तय है कि दोनों पदों में से एक पर उत्तर तो दूसरे पर दक्षिण भारत का चेहरा उतारा जाएगा। ऐसा करके उत्तर से लेकर दक्षिण तक के सियासी गणित को साधा जा सकता है।
चुनाव का ये है पूरा कार्यक्रम
राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए अधिसूचना 15 जून को जारी हो चुकी है। नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून है। नामांकन पत्रों की जांच 30 जून तक होगी। उम्मीदवार अपना नामांकन दो जुलाई तक वापस ले सकेंगे। राष्ट्रपति का चुनाव 18 जुलाई को होगा, जिसके नतीजे 21 जुलाई को आएंगे। 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण समारोह होगा।
राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने मतदाता?
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसद ही वोट डाल सकते हैं, लेकिन कश्मीर में विधानसभा भंग है। यहां चार राज्यसभा सीटें खाली हैं। ऐसे में 229 राज्यसभा सांसद ही राष्ट्रपति चुनाव में वोट डाल सकेंगे।
राष्ट्रपति की ओर से मानित 12 सांसदों को भी इस चुनाव में वोट डालने का अधिकार नहीं है। दूसरी ओर, लोकसभा के सभी 543 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेंगे। इनमें आजमगढ़, रामपुर और संगरूर में हो रहे उपचुनाव में जीतने वाले सांसद भी शामिल होंगे। इसके अलावा सभी राज्यों के कुल 4033 विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे। इस तरह से राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4809 होगी। हालांकि, इनके वोटों की वैल्यू अलग-अलग होगी। इन मतदाताओं के वोटों की कुल कीमत 10 लाख 79 हजार 206 होगी