हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व होता है. प्रदोष व्रत की पूजा भगवान शिव को समर्पित होती है. पंचांग के अनुसार माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ते हैं. पहला प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी और दूसरा प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है.
सोमवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. सोमवार का दिन भगवान शिव का प्रिय दिन होता है. ऐसे में हिंदू नववर्ष ( hindu new year)का पहला और सोमवार के दिन प्रदोष व्रत का होना बहुत ही शुभ व अद्भुत संयोग माना जा रहा है.
जाने मान्यता
सोम प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त
सोमवार 3 अप्रैल सुबह 06:25 पर त्रयोदशी तिथि शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 4 अप्रैल सुबह 08:06 पर होगा. पूजा के लिए 3 अप्रैल शाम 06:40 से 08:58 का समय शुभ रहेगा.
सोम प्रदोष व्रत पूजन विधि
प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. इसके लिए सुबह के बाद शाम में एक बार फिर से स्नान करें और शिव पूजा की तैयार करें. भगवान शिव का जलाभिषेक करें और इसके बाद सफेद फूल, बेलपत्र, अक्षत, भांग, भोग आदि चढ़ाकर पूजा करें. धूप-दीप जलाएं और सोम प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुने।
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