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दुर्ग यूनिवर्सिटी उपकुलसचिव सहित 4 पर FIR:इसमें PRSU के प्रोफेसर डॉ. रोहिणी प्रसाद भी; CSVTU प्रॉक्टर को नौकरी से हटाने के षड्यंत्र का आरोप

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ACN18.COM दुर्ग/छत्तीसगढ़ की दुर्ग पुलिस ने स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU) के प्रॉक्टर की सेवा पुस्तिका से छेड़छाड़ करने के मामले में कई यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज की है। इसमें हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग के उप कुलसचिव राजेंद्र कुमार चौहान, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय (PRSU) के प्रोफेसर डॉ. रोहिणी प्रसाद, संत गहिरा गुरू विश्वविद्यालय (SGGCG) सरगुजा के कार्यालय सहायक रूपेश मार्कस और संविदा कर्मी वजीर आलम शामिल हैं। आरोप है कि इन लोगों ने सेवा पुस्तिका में गलत एंट्री करके उन्हें नौकरी से हटाने का षड़यंत्र किया था।

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नेवई टीआई ममता शर्मा ने बताया कि CSVTU के प्रॉक्टर डॉ. राम नारायण खरे ने प्राचार्य को नौकरी से निकालने और सेवा पुस्तिका में अनाधिकृत प्रविष्टि करने की शिकायत दर्ज कराई है। डॉ. खरे ने शिकायत में बताया कि छत्तीसगढ़ शासन के 31 जनवरी 2020 को जारी आदेश पर संविलयन के दौरान इंजीनियरिंग महाविद्यालय अंबिकापुर की समस्त संपत्ति और जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ CSVTU को ट्रांसफर कर दी गई थीं। इसमें सभी अधिकारी व कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका भी CSVTU भेजी गई थीं।

कूटरचना कर प्राचार्य का कार्यकाल 5 साल किया गया

जांच करने पर पाया गया कि डॉ. राम नारायण की सेवा पुस्तिका के पेज क्रमांक 13 में छेड़छाड़ और कूटरचना कर प्राचार्य का कार्यकाल 5 वर्ष का होना किया गया था। इस पर डॉ. खरे ने 20 सितंबर 2019 को राजभवन को इसकी जानकारी दी। डॉक्टर खरे इस पर कार्रवाई करने राजभवन को 31 दिसंबर 2020 को दोबारा पत्र लिखा। इसके बाद डॉक्टर खरे की पदस्थापना व जॉइनिंग प्राचार्य के तौर पर भिलाई में हो गई। जब CSVTU कुलसचिव ने मूल नस्ती का अवलोकन किया तो पता चला कि डॉ. खरे की सेवा पुस्तिका की मूल नस्ती के चार पेज दिनांक 28 अगस्त 2019 से लेकर 31 अगस्त 2019 तक गायब हैं। इस पर CSVTU के कुलसचिव ने अंबिकापुर कुलसचिव को इस संबंध में पत्र लिखकर जानकारी मांगी।

अंबिकापुर महाविद्यालय कुलसचिव ने मानी गलती

अंबिकापुर महाविद्यालय के कुलसचिव ने पत्र के जवाब में बताया कि मूल नस्ती को SGGCG के तत्कालीन कुलपति और PRSU के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. रोहिणी प्रसाद ने जांच के दौरान अपने पास रख ली है। उन्होंने वह मूल नस्ती विश्वविद्यालय को लौटाई नहीं हैं। यह उस समय की नोटशीट है, जिसमें डॉक्टर खरे को नौकरी से निकालने का प्रस्ताव रखा गया था। इसके बाद 1 सितंबर 2021 को CSVTU कुलसचिव ने इंजीनियरिंग महाविद्यालय कुलसचिव को पत्र लिखकर पूछा था कि डॉ. खरे की सर्विस बुक में जो अनधिकृत प्रविष्टि की गई है उस पर क्या कार्रवाई की जाए। इसके जवाब में 6 सितंबर 2021 को कुलसचिव अम्बिकापुर महाविद्यालय ने स्वीकार किया कि वह त्रुटिपूर्ण अनधिकृत प्रविष्टि है और इसे तत्काल निरस्त कर दुरूस्त किया जाना चाहिए। इसके बाद डॉ. खरे की सर्विस बुक को 20 सितंबर 2021 को सुधारा गया गया। इसके बाद इसकी जानकारी 29 नवंबर 2021 को राजभवन व CSVTU को दी गई थी।

राजभवन के आदेश पर जांच के लिए गठित की गई थी टीम

राजभवन ने इस मामले को गंभीरता से लिया और उन्होंने CSVTU को आदेश दिया कि एक टीम गठित करके मामले की जांच की जाए। टीम ने जांच के बाद रिपोर्ट दी की डॉ. खरे को यूजीसी की नौकरी से हटाया गया था। SGGCG के तत्कालीन कुलपति डॉक्टर रोहिणी प्रसाद ने अपने पद का दुरुपयोग कर तीन कर्मचारियों पर दबाव बनाया और डॉ. आर एन खरे की सर्विस बुक में अनाधिकृत प्रविष्टि करवाई थी।

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