Acn18.com/बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के शंकरगढ़ वन क्षेत्र अंतर्गत सरगवां जंगल में शनिवार को भीषण आग लग गई। आग से करीब 50 एकड़ में फैले बांस, तेंदू और साल के पेड़-पौधे जल गए हैं। बड़े भूभाग में जंगल को आग से नुकसान पहुंचा है। इस मामले में ग्रामीणों ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने समय पर आग लगने की सूचना दी, लेकिन वनकर्मी आग बुझाने के लिए नहीं पहुंचे।
जानकारी के मुताबिक, शनिवार को सरगवां के जंगल में भीषण आग लग गई। आग ने लाखों पेड़-पौधों को अपनी चपेट में ले लिया। ग्रामीणों को पेड़-पौधों के चटकने और आग लगने की गंध आई, तो उन्होंने घर से बाहर निकलकर देखा। लोगों ने बताया कि जंगल में भीषण आग लगी हुई थी और दूर तक धुएं की लपटें दिखाई दे रही थीं। जंगल में सूखे पत्ते, छोटे बांस के पौधे और तेंदूपत्ता में आग लगी हुई थी।
ग्रामीणों ने बताया कि घटना की सूचना उन्होंने तुरंत वनकर्मियों को दी, लेकिन वे मौके पर नहीं पहुंचे, जिससे आग ने और विकराल रूप धारण कर लिया। इससे लाखों पौधे जलकर खाक हो गए। बताया जा रहा है कि यहां पदस्थ वन अधिकारी व कर्मचारी मुख्यालय में निवास नहीं करते हैं। लोगों ने कहा कि अगर वे मुख्यालय में निवास करते, तो सूचना मिलते ही आग बुझाने के लिए पहुंचते, जिससे इतना बड़ा नुकसान नहीं होता।
ग्रामीणों का कहना है कि लगभग 50 एकड़ में जंगल फैला हुआ है। इसमें बांस की नर्सरी, तेंदू के पौधे और सरई के पेड़ लगे हुए हैं। आग के कारण बड़े पेड़ तो बच गए, लेकिन छोटे झाड़, बांस, व तेंदू के पौधे नहीं बचे। गौरतलब है कि पिछले साल सामरी विधायक व संसदीय सचिव चिंतामणि महाराज ने सरगवां को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए भूमिपूजन भी किया था।बताया जा रहा है कि मुख्यालय में वन अधिकारी और 54 कर्मचारी नहीं रहते हैं। वे अंबिकापुर से आना-जाना करते हैं। रेंजर भी हर दिन आना-जाना करते हैं, जबकि प्रशासन की ओर से यह स्पष्ट निर्देश है कि मुख्यालय में रहकर ही अधिकारी-कर्मचारी ड्यूटी करें।