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दंतेवाड़ा में हुए IED ब्लास्ट के चश्मदीद की चुबानी:बोला- मैंने अपनी गाड़ी धीरे की, दूसरी गाड़ी ओवरटेक करके निकली, और हो गया धमका, दहल गया दिल

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Acn18.com/छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में IED ब्लास्ट की चपेट में आने से 10 जवानों समेत एक वाहन चालक की शहादत हो गई। मामले के ठीक 1 दिन बाद इस घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी ने खुलकर आखों देखी बताई। DRG जवानों से भरी जिस वाहान को नक्सलियों ने बम से उड़ाया था, उसके ठीक पीछे की गाड़ी में युवराज सिंह भास्कर भी जवानों को लेकर दंतेवाड़ा की तरफ आ रहा था। युवराज सिंह भास्कर ने घटना की लाइव तस्वीरें भी अपने कैमरे में कैद की। पढ़िए युवराज की जुबानी इस पूरे घटना की कहानी…..

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मेरा नाम युवराज सिंह भास्कर है। बुधवार को मैं जवानों को लेने के लिए अरनपुर गया हुआ था। करीब 20 से ज्यादा गाड़ियां जवानों को लेने कैंप के पास गई थी। जिस गाड़ी को मैं चला रहा था उस गाड़ी में मेरे साथ कुल 8 जवान बैठे थे। एक-एक कर सभी गाड़ियां जवानों को लेकर निकल रही थी। मेरे से आगे एक पिकअप वाहन थी। पीछे तूफान गाड़ी थी, जिसे धनी चला रहा था। सभी अपनी रफ्तार में थे।

लेकिन कैंप से कुछ दूरी तय करने के बाद मेरी गाड़ी के नीचे एक लकड़ी का टुकड़ा फंस गया था। जिसे निकालने के लिए मैं रुका। मेरे पीछे आ रही तूफान गाड़ी जिसे धनी चला रहा था उसने ओवरटेक कर गाड़ी को आगे निकाला। इसके तुरंत बाद मैंने भी अपनी गाड़ी की रफ्तार बढ़ाई। सीधी सड़क थी। हम दोनों गाड़ियों के बीच का फासला करीब 60 से 70 मीटर का था। फिर एकाएक अचानक जोर का धमाका हुआ।

जवानों और गाड़ी के चिथड़े उड़ गए। गाड़ी के पार्ट्स और जवानों के शरीर को हवा में उड़ते हुए देखा। यह मंजर देख मेरा दिल दहल गया। मैंने अपनी गाड़ी तुरंत रोकी। गाड़ी में जितने जवान थे सभी नीचे उतरे और फौरन अपने हथियार लेकर झाड़ियों के पास जाकर मोर्चा संभाल लिया। मैं गाड़ी में ही बैठा हुआ था। यह भयावह मंजर देख घबरा गया था। फिर जैसे ही फायरिंग हुई मैं भी गाड़ी से नीचे उतरा। किनारे में जाकर बैठ गया था। जवान जंगल की तरफ फायरिंग कर रहे थे। उधर से भी गोलियों की बौछार आ रही थी।

जिसके बाद मैं गाड़ी के नीचे जाकर लेट गया डर था। ताकि कहीं गोली मुझे भी न लग जाए। लेकिन जवानों ने नक्सलियों की गोलियों का मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्हें मेरी भी चिंता थी। जब तक मैं घटनास्थल पर था जिस तरफ नजर पड़ रही थी वहां खून के छींटे, जवानों के शरीर के टुकड़े पड़े हुए थे। एक पल ऐसा आया जब मैंने भी सोच लिया आज जिंदा नहीं बचूंगा। मन में ख्याल आया की घर वालों के लिए एक वीडियो बना लूं। ताकि, अंतिम वक्त पर मेरे घरवाले मुझे देख लें।

इस बीच एक जवान ने मुझे कहा कि, तुम तुरंत यहां से निकलो और कैंप जाओ। घटना की जानकारी साथियों को दो। फिर क्या था मैंने फायरिंग के बीच अपनी गाड़ी घुमाई और तेज रफ्तार से कैंप की तरफ बढ़ गया। इस बीच 2 गाड़ियां और आ रही थी। उन्हें रुकवाया। घटना के बारे में जानकारी दी। सभी जवान फौरन मौके पर पहुंचे और मोर्चा संभाला। जिसके बाद कैंप पहुंचकर मैंने इस पूरी घटना की जानकारी बाकी के जवानों को दी।

मैंने जो वीडियो बनाई थी उस वीडियो को फोर्स को दिखाया। हालांकि, किसी कारण से मेरे फोन से सारे वीडियो भी डिलीट करवा दिए गए। कुछ देर पहले तक सारे जवान और ड्राइवर धनी मेरे साथ थे। लेकिन, चंद मिनटों में सब कुछ बर्बाद हो गया। ब्लास्ट का वो मंजर कभी भूल नहीं सकता। रात में नींद नहीं आई। घर पहुंचा तो परिजनों को इसकी जानकारी दी। पूरा परिवार घबराया हुआ है।

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