Acn18.com/प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य कर्मचारियों पर एस्मा लगा दिया है। यानी हड़ताल पर गए कर्मचारियों पर अब नौकरी से निकाले जाने तक की कार्रवाई हो सकती है। पिछले दिनों प्रदेश के स्वास्थ्यकर्मियों ने हड़ताल कर दी थी। हालांकि मंत्री टीएस सिंहदेव के आश्वासन के बाद कर्मचारियों ने हड़ताल बंद की। मगर संविदा पर काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मी अब भी काम बंद किए हुए हैं।
मंगलवार की रात सरकार ने एस्मा का आदेश जारी कर दिया। इससे नया रायपुर में आंदोलन पर बैठे संविदा कर्मचारियों का गुस्सा फूटा। कर्मचारी संगठन ने कहा कि संविदा कर्मचारियों के हड़ताल को तोड़ने के लिए सरकार ने एस्मा लागू किया है। इस आदेश के खिलाफ अब संविदाकर्मियों के संगठन के प्रदेश अध्यक्ष कौशलेश तिवारी ने आज जल सत्याग्रह करने का ऐलान किया है। ये सभी कर्मचारी नवा रायपुर के तूता में अन्य जिलों से भारी संख्या में पहुंचे संविदा कर्मचारियों के साथ जल सत्याग्रह करेंगे।
इस आदेश को लेकर प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के महामंत्री अश्वनी गुर्देकर ने कहा- छत्तीसगढ़ शासन की ओर से प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल और आंदोलनों के लिए एस्मा लगाया गया है। यह शासन का तानाशाह पूर्ण रवैया है। वैसे ही स्वास्थ्य विभाग का काम हमेशा अनिवार्य सेवा के अंतर्गत आता ही है। इसलिए एस्मा लगाया जाना उतना प्रभावशील नहीं होगा कर्मचारियों को इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है।
क्या है सरकारी आदेश में
राज्य सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ अत्यावश्यक सेवा संधारण और विच्छिन्नता निवारण अधिनियम (एस्मा) 1979 की धारा 4 की उपधारा 1 तथा 2 में मिली शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से संबद्ध समस्त काम और स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यक सेवाओं में काम करने से इनकार किए जाने को प्रतिषेध (बैन) कर दिया है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
राज्य शासन के गृह विभाग की ओर से मंत्रालय से मंगलवार को जारी आदेश के अनुसार ‘लोक स्वास्थ्य’ (छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग) से संबद्ध समस्त काम और स्वास्थ्य सुविधाओं की अत्यावश्यक सेवाओं में कार्यरत डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी, एम्बुलेंस सेवाओं में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारियों की ओर से काम करने से इनकार किए जाने को बैन कर दिया है।
एस्मा क्या है
आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है। इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध और दण्डनीय है। हड़ताल पर गए कर्मचारियों के खिलाफ सरकार नौकरी से बर्खास्त करने तक की कार्रवाई कर सकती है। हालांकि इससे पहले भी प्रदेश में इसी तरह कई कर्मचारी संगठनों के आंदोलन में ऐसा किया गया था, मगर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई।