acn18.com कोरबा / कोरबा में रेल फाटक के कारण आवागमन को लेकर हो रही समस्या का समाधान करने के लिए संजय नगर रेलवे क्रॉसिंग पर अंडरपास बनाना मंजूर किया गया है। 50 -50% की निर्माण लागत वहन करने का काम रेलवे और प्रदेश सरकार करेगी। निर्माण से पहले इसके आसपास की सरकारी जमीन पर बसे हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए सिंचाई विभाग के द्वारा लोगों को नोटिस दिए गए हैं। इनमें कुछ मामले ऐसे भी है जिनमें लोगों के पास जमीन की रजिस्ट्री भी है और उन्हें नोटिस मिले हैं।
यात्री गाड़ी और मालगाड़ियों के आने आने के दौरान कोरबा नगर स्थित संजय नगर रेल फाटक को दिन में 20 से अधिक बार बन्द किया जाता है। इस वजह से विभिन्न क्षेत्रों में आवागमन करने वाला वर्ग परेशान होता है। उसकी यह समस्या लंबे समय से यहां पर बनी हुई है। कोरबा शहर में हर तरफ रेल फाटक होने के कारण जनता परेशान है और वह इसका समाधान चाहती है। लगातार हो रही मांग को ध्यान रखते हुए इस वर्ष तय किया गया कि सबसे पहले संजय नगर रेलवे क्रॉसिंग में समस्या को हल करने के लिए अंडरपास का निर्माण कराया जाए। छत्तीसगढ़ सेतु निगम को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी के लिए भेजा गया है और उसके आने की प्रतीक्षा की जा रही है। इससे पहले निर्माण क्षेत्र का सर्वे कर लिया गया है। रेलवे लाइन के एक तरफ से सिंचाई विभाग के नहर बहती है। दावा है कि दूसरे तरफ की जमीन भी इसी विभाग की है। रेल अंडर पास बनाने के लिए जितना हिस्सा चाहिए उसके लिए दोनों तरफ की जमीन पर बसे हुए लोगों को हसदेव जल प्रबंधन संभाग की ओर से नोटिस जारी किया गया है और लोगों को 7 दिन के भीतर मौके से हटने को कहा गया है। लोगों ने बताया कि नोटिस मिलने से वह परेशान है। वे लोग इस इलाके में काफी समय से रहते हुए व्यवसाय कर रहे हैं। ठीक मानसून से पहले इस प्रकार की कार्रवाई से उनके सामने मुश्किल है।
जबकि एक नागरिक ने बताया कि जिस जमीन पर उसका घर बना हुआ है वह रजिस्ट्री वाली जमीन है और इस पर उसका ही मालिकना हक है। बिना किसी जांच पड़ताल के सिंचाई विभाग ने उसे नोटिस दे दिया है।
7 जून की तारीख में सिंचाई विभाग की ओर से जमीन से हटाने के नोटिस संजय नगर क्षेत्र में कई लोगों को दिए गए हैं और एक सप्ताह के अंदर यहां से अपने स्थाई और अस्थाई निर्माण को हटाने के लिए कहा गया है। नोटिस मिलने के बाद से स्वाभाविक रूप से लोग परेशान हैं लेकिन उन्होंने इस मामले में प्रशासन के पास अपनी बात रखने की मानसिकता बनाई है। लोगों को लगता है कि इतना सब कुछ करने से बीच का रास्ता निकलना चाहिए।