छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेंज में जब्त 12 टन गांजा को बायोमॉस पावर प्लांट में जलाकर नष्ट किया गया। एक घंटे तक गांजा, कोल मटेरियल, भूसे के साथ प्लांट में जलता रहा, जिससे पांच मेगावॉट बिजली उत्पादन भी हो गया। प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है, जब गांजा नष्टीकरण का उपयोग बिजली बनाने के रूप में किया गया है। इससे पहले गांजे को फर्नेस ऑयल फैक्ट्री में जलाकर नष्ट कर दिया जाता था। IG रतनलाल डांगी का कहना है कि इस बार वेस्ट मटेरियल को नष्ट करने के साथ ही बिजली उत्पादन के काम में लाया गया है।
बिलासपुर रेंज स्तर पर चार सदस्यीय हाई पावर ड्रग डिस्पोजल कमेटी का गठन किया गया है। इससे पहले यह कमेटी जब्त मादक पदार्थो को सिरगिट्टी इंडस्ट्रियल एरिया में फर्नेस ऑयल के भट्टी में जलाया जाता था। लेकिन, इस बार जब्त गांजा की मात्रा 12 टन होने की वजह से IG रतनलाल डांगी के निर्देशन में रतनपुर थाना क्षेत्र के मोहतराई स्थित सुधा बायोमास पावर प्राइवेट लिमिटेड में नष्टीकरण किया गया। ताकि, गांजा नष्टीकरण के साथ ही इसका उपयोग बिजली बनाने में किया जा सके।
सुधा बायोमॉस के प्रबंधक बोले- एक घंटे में पांच मेगावाट बिजली उत्पादन
सुधा बायोमास पावर प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक एसवी राजू ने बताया कि प्लांट में 10% कोयले के साथ भूसे का उपयोग कर बिजली उत्पादन किया जाता है। हमारे प्लांट में भूसे व कोयले के अवशिष्टों को जला कर प्रति घंटे में 10 मेगावाट बिजली बनाने की कैपिसिटी है। अवशिष्ट नहीं मिलने की स्थिति में उत्पादन रोकना पड़ता है। कंपनी की ओर से उत्पादित बिजली को CBSE को सप्लाई किया जाता है। एसवी राजू ने बताया कि शुक्रवार को गांजा को प्लांट में करीब एक घंटे तक जलाया गया, जिसमें कोयले के साथ ही भूसे का भी उपयोग किया गया। गांजे को ओपन कन्वेयर बेल्ट से डाला गया। अनुमान है कि 12 टन गांजे से पांच मेगावाट बिजली उत्पादन हुआ है।
नशीली दवाओं का भी हुआ नष्टीकरण
इस अभियान के तहत बिलासपुर रेंज के 553 प्रकरणों में जब्त 12.767 टन गांजा व 13 पौधों के साथ ही 8 हजार 380 टेबलेट, 11 हजार 220 कफ सिरप, 897 कैप्सूल व 222 इंजेक्शन का भी नष्टीकरण किया गया। इस दौरान कमेटी के अध्यक्ष IG रतनलाल डांगी, बिलासपुर SP पारुल माथुर, कोरबा SP भोजराज पटेल, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी तोरन सिंह मौजूद रहे।
कफ सिरप व नशीली टेबलेट्स पर चला बुलडोजर
इस कार्रवाई के दौरान जब्त कप सिरप की शिशियों और टेबलेट्स के साथ ही इंजेक्शन को नष्ट करने के लिए गड्ढा खोदकर बुलडोजर चलाकर नष्ट किया गया। इसके बाद गड्ढे को जेसीबी की मदद से मिट्टी मिलाकर बराबर भी किया गया, जिससे कांच और प्लॉस्टिक की शिशियां जमीन में दब गए।
विशेषज्ञ बोले- बायोमॉस प्लांट में तेज ज्वलनशील मटेरियल का होता है उपयोग
गव्हर्मेंट इंजीनियरिंग कॉलेज के इलेक्ट्रिकल विभाग के HOD एके शुक्ला का कहना है कि बायोमॉस पावर प्लांट में आमतौर पर भूसे का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि भूसा ऑयली होता है। ऐसे ही गन्ने का रॉ मटेरियल भी उपयोग किया जाता है। बायोमॉस पॉवर प्लांट में आमतौर पर तेज ज्वलनशील रॉ मटेरियल का उपयोग किया जाता है। ऐसे रॉ मटेरियल के साथ गांजा को भी जला बिजली उत्पादन के लिए उपयोग किया जा सकता है।