ACN18.COM कोरबा/ गर्मी के सीजन में जंगलों में आग लगने के मामले सामने आते हैं और इसके कारण वन संपदा को काफी नुकसान भी पहुंचता है। कोरबा वन मंडल में वर्ष 2024 के दौरान 11 मामले आए हैं। वन विभाग में आगजनी की घटनाओं की रोकथाम को लेकर कई स्तर पर कोशिश की है। जन सामान्य के साथ-साथ वन प्रबंधन समिति के स्तर पर इस तरह के मामलों में प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं।
गर्मी के मौसम में टकराने और इसके प्रभाव से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों के कारण आग लग जाती है और वह बहुत जल्द बड़े हिस्से में फैल जाती है। इस प्रकार का दृश्य दावानल के नाम से परिभाषित होता रहा है और बीते वर्षों में ऐसी घटनाओं में वन विभाग को काफी लंबी चपत लगी है। इन घटनाओं को रोकने के लिए रणनीतिक तैयारी जरूर की गई है लेकिन बहुत अच्छे परिणाम नहीं मिले हैं इसलिए अब नए सिरे से विचार करने के साथ वन विभाग दूसरे कदम उठाने की तरह बढ़ रहा है। वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि वर्ष 2024 में मार्च के पहले पखवाड़े तक 11 स्थान पर आग लगने की घटनाएं हुई है हालांकि इनमें से तीन का संबंध कुछ अलग था। फिर भी हमने आग बुझाने में सफलता हासिल की।
बताया गया कि महुआ और तेंदुपत्ता वनोपज के लालच में अक्सर जंगल में आग लगा दी जाती है और जो बाद में बड़ा रूप धारण कर लेती है। वन विभाग इस पर नजर रखा हुआ है। जहां कहीं सड़क के किनारे लोगों के अपने महुआ के पेड़ है उनके आसपास हमने चेतावनी भी जारी कर रखी है।
वन विभाग चाहता है कि पूरे क्षेत्र में पर्यावरण की दृष्टिकोण से वन संपदा सुरक्षित रहे। यह विषय केवल सरकारी अधिकारियों और कर्मचारी से ही नहीं जुड़ा है बल्कि इसमें लोगों के सरोकार भी शामिल है क्योंकि प्रकृति से संबंधित तत्व सभी के लिए आवश्यक है और उनकी भूमिका किसी से छिपी नहीं है। समझा जा रहा है कि समय के साथ लोगों की समझ बढ़ेगी और वे खुद होकर वनों की रक्षा करने को लेकर आगे आएंगे