Acn18.com/कोरबा के पोड़ीबहार क्षेत्र में रहने वाले चौहान परिवार ने ऐसा कार्य किया है,जिसे करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता। परिवार में वृद्ध महिला के निधान के बाद उसका अंतिम संस्कार करने के बजाए परिवार ने उसके शरीर का मेडिकल कॉलेज में दान करने का निर्णय लिया है ताकी डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे बच्चों को सुविधा मिल सके। मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों के इस निर्णय की सराहना की है और देहदान के लिए और भी लोगों से आगे आने की अपील की है।
रक्तदान और नेत्रदान को जिस तरह से महादान माना गया है ठीक उसी तरह देह दान को भी महादान माना गया है। देहदान से उन छात्रों को पढ़ाई करने में आसानी होती है,जो चिकित्सा के क्षेत्र में आगे आना चाहते है। देहदान से उसका उपयोग मेडिकल की पढ़ाई में किया जाता है जिससे बच्चों को काफी सहूलियत होती है। देहदान करने की क्षमता हर किसी में नहीं होती,लेकिन पोड़ीबहार क्षेत्र में निवास करने वाले चौहान परिवार ने यह काम कर दिखाया है। घर की बुजूर्ग महिला फूल बाई चौहान की सेहत बिगड़ने पर उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। करीब पांच दिन तक उपचार चलने के बाद उनका निधन हो गया। परिवार ने सोचा फूल बाइ का अंतिम संस्कार करने के बजाए उसके शरीर का दान कर दिया जाए ताकी उनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो सके।
चौहान परिवार के इस कदम की अस्पताल प्रबंधन ने जमकर प्रशंशा की है। उनका मानना है,कि देहदान का निर्णय आसान नहीं होता,लेकिन जिस तरह से उन्होंने यह कदम उदाया है वह तारीफ के काबिल है। मेडिकल कॉलेज के डीन ने बताया,कि देहादान को लेकर प्रबंधन द्वारा लगातार जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है,जिसके परिणाम धीरे धीरे सामने आ रहे है। देहदान के कारण मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई कर रहे बच्चों को काफी सुविधा मिलती है। मीडिया के माध्यम से उन्होंने और भी लोगों से देहदान को लेकर आगे आने की अपील की है।
कोरबा में देदहदानियों की संख्या अभी भी काफी कम है। चिकित्सा के क्षेत्र में पढ़ाई कर रहे छात्रों के भविष्य के लिए देहदानियों को आगे आने की जरुरत है ताकी कोरबा से भी अच्छे अच्छे डॉक्टर निकलकर देश विदेश में अपने जिले का नाम रौशन कर सके।