ACN18.COM कोरबा/ एनिमल वर्ल्ड जबलपुर के द्वारा पिछले वर्षों में डेढ़ हजार से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी कोरबा जिले में करने के बाद भी इंसानों पर कुत्तों के हमले कम नहीं हुए हैं। ऐसी घटनाओं के पीछे अलग-अलग कारणों को बताया जाता है। मौजूदा स्थिति में प्रतिदिन यहां वहां ऐसी घटनाएं हो रही हैं। पीड़ितों को नुकसान से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अपने सभी सरकारी अस्पतालों में रेबीज इंजेक्शन की सुविधा उपलब्ध कराई है।
दूसरे क्षेत्रों की तरह कोरबा में भी कुत्तों की संख्या के साथ हमले लगातार बढ़ रहे है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में हर दिन ऐसी घटनाएं हो रही है। इनके कारण पीड़ित को कई तरह की दिक्कतें हो रही है। साथ ही रेबीज का खतरा भी बढ़ रहा है । मरीज को शुरू के एक-दो दिन में बुखार, भूख न लगना, कमजोरी, चिड़चिड़ापन आदि की समस्या होने लगती है। जानवर के काटने से हुए जख्म में तेज दर्द, जलन और र्इंचग रहती है। 2-3 दिनों बाद न्यूरोलॉजिकल सिम्टम शुरू होते हैं। बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के मामले में कोरबा जिले को आदर्श स्थिति में लाने की कोशिश की जा रही है मेडिकल हॉस्पिटल के अधिष्ठाता डॉ अविनाश मेश्राम ने बताया कि यहां पर पर्याप्त संख्या में रेबीज के इंजेक्शन मौजूद हैं और प्रभावितों को इनकी सुविधा निशुल्क दी जा रही है।
बताया ज्यादा है क्या रेबीज इन्जेक्शन रेबिस की रोकथाम में मददगार है। इसे ऊपरी बांह की मांसपेशियों में इन्जेक्शन के रूप में दिया जाता है। अगर आपको काटने का खतरा होता है तो वैक्सीन को 1, 2 और 3 दिन पर तीन इन्जेक्शन के कोर्स के रूप में दिया जाता है। इस कोर्स को पूरा करने के एक वर्ष बाद बूस्टर खुराक की आवश्यकता होती है।
मेडिकल कॉलेज को मिले सीनियर और जूनियर डॉक्टर , समय के साथ अस्पताल में मरीजों की संख्या भी बढ़ी