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डॉक्टर्स डे आज : हर साल 1 जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है डॉक्टर्स डे, इसके पीछे ये है वजह

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acn18.com नई दिल्ली। स्वस्थ जीवन हर किसी की प्रियोरिटी लिस्ट में टॉप पर होता है। कहा भी गया है कि, ‘सेहत सबसे बड़ी पूंजी’ है। हेल्दी व्यक्ति ही लाइफ को सही तरह से एन्जॉय कर सकता है और इसमें डॉक्टर्स का रोल बहुत अहम होता है। छोटी-बड़ी हर तरह की बीमारियों को डॉक्टर्स की मदद से ठीक किया जा सकता है। शायद इसलिए ही इन्हें भगवान का दर्जा मिला हुआ है। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस प्रसिद्ध डॉक्टर और बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉक्टर बिधान चंद्र राय के सम्मान में मनाया जाता है।  

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भारत में 1 जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है डॉक्टर्स डे?

वैसे तो दुनियाभर के अलग- अलग देशों में डॉक्टर्स डे को अलग-अलग दिन मनाया जाता है, लेकिन भारत में इस दिन को 1 जुलाई को सेलिब्रेट किया जाता है, क्योंकि 1 जुलाई 1882 में इंडिया के फेमस फिजीशियन डॉ. बिधान चंद्र राय का जन्म हुआ था और उनका निधन भी 1 जुलाई को ही साल 1962 में हुआ था। चिकित्सा क्षेत्र में उनके योगदान को सम्मान देने के मकसद से 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाने की शुरुआत की गई थी।

डॉक्टर्स डे मनाने का उद्देश्य

इस दिन को मनाने का मकसद डॉक्टर्स के योगदान, उनके कार्यों के बारे में लोगों को जागरूक करना है। जो अपने सुख-दुख को त्याग कर मरीजों के लिए जीते हैं। समाज को रोगमुक्त रखने में अहम भूमिका निभाते हैं, तो उनके इस योगदान को सेलिब्रेट करना है इस दिन को मनाने का मकसद। कोविड संक्रमण के दौरान डॉक्टर्स ही थे, जो बिना अपनी जान की परवाह किए घंटे लगातार ड्यूटी कर रहे थे। कई डॉक्टर्स ने अपनी जान भी गंवा दी। इन डॉक्टर्स के बलिदान को भी आज के दिन याद किया जाता है।   

कौन थे बिधान चंद्र रॉय?
बिधान चंद्र रॉय का जन्म बिहार के पटना शहर में 1जुलाई 1982 में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रकाश चंद्र था। बिधान चंद्र रॉय अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटे थे। उन्होंने अपनी मेडिकल की पढ़ाई कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से पूरी की। इसके बाद उन्होंने लंदन से FRCS और MRCP उपाधि प्राप्त की।

रिकॉर्ड्स की माने तो भारतीय होने के कारण पहले उन्हें लंदन के अस्पताल में दाखिला नहीं दिया गया था, पर डॉक्टर बिधान हिम्मत हारने वालों में से नहीं थे और लगातार आवेदन करते रहे। आखिरकार 30वीं बार में उनका आवेदन पत्र स्वीकार कर लिया गया। डॉक्टर रॉय इतने मेधावी थे कि दो साल में ही उन्होंने एक साथ फिजिशियन और सर्जन की डिग्री हासिल कर ली। 1911 में बिधान चंद्र रॉय भारत वापस आ गए और सियालदाह में सरकारी डॉक्टर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की।

स्वतंत्रता सेनानी थे डॉ बिधान चंद्र रॉय
बिधान चंद्र रॉय डॉक्टर के साथ साथ समाजसेवी, आंदोलनकारी, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता भी थे। देश के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। गांधी जी के आग्रह पर उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा और और इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी में आ गए। प्रफुल चंद्र घोष के बाद 1948 में वे बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री बने और 1 जुलाई 1962 में अपने निधन तक वो इस पद पर बने रहे। उन्हें पश्चिम बंगाल का आर्किटेक्ट भी माना जाता है।

डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय के बारे में एक बात और बहुत प्रचिलित है की वो जो भी आय अर्जित करते थे वो सब दान कर दिया करते थे। उनकी इसी निस्वार्थ भाव से समाज और देश की सेवा करने के जज्बे को सम्मान और श्रद्धांजलि देने के लिए 1 जुलाई को उनके जन्मदिन और पुण्यतिथि को नेशनल डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है।

डॉक्टर्स डे 2024 की थीम

हर साल डॉक्टर्स डे को किसी न किसी थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। साल 2024 में नेशनल डॉक्टर्स डे की थीम है- “Healing Hands, Caring Hearts”

साल 2023 में इस दिन को “सेलिब्रेटिंग रेजिलिएंस एंड हीलिंग हैंड्स” थीम के साथ सेलिब्रेट किया गया था। 

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