Acn18.com/रोजगार, बसाहट और मुआवजा से जुड़ी समस्या को लेकर 15 कई गाव के भू विस्थापित एसईसीएल से नाराज है। लम्बा समय बीतने पर भी उनकी समस्या यथावत है। विस्थापित समुदाय ने भरी गर्मी में रैली निकाली और प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। इसमे कहा गया है कि 20 दिन के भीतर मसला हल नही किया गया तो वे कुसमुंडा खदान को बंद करने के लिए बाध्य होंगे। इसकी जिम्मेदारी प्रशासन और प्रबंधन की होगी।
नवतपा के अंतिम दिन भुविस्थापित समुदाय के द्वारा हसदेव पुल से कोरबा जिला कार्यालय के लिए पदयात्रा की गई। इसमे प्रभावित पुरुष और महिलाओं की भागीदारी थी। गर्मी की परवाह नही करते हुए ये लोग बैनर पोस्टर के साथ रैली का हिस्सा बने। रास्ते भर ये सभी आम लोगों के लिए जिज्ञासा का विषय बने रहे कि आखिर इतनी धूप में ये सब आखिर क्यों किया जा रहा है। dspm चौराहे के पास भुविस्थापित वर्ग से बातचीत हुई तो पता चला कि इसमें 15 गाव के लोग शामिल है, जो परेशान है। वर्षों बाद भी उनकी दिक्कतें कायम है। एसईसीएल हमारी बात को गंभीरता से नही ले रहा है। इसलिए प्रशासन को अंतिम चेतावनी देने की कोशिश की जा रही है।
भुविस्थापित आरोप लगाते है कि कोल इंडिया की एक जैसी नीति होने पर भी कोरबा जिले में कम्पनी मनमानी पर उतारू है। जमीन अर्जन के मॉमलों में कही 10 लाख तो कही 16 लाख का मुआवजा देकर लोगों में फुट डाली जा रही है।
छत्तीसगढ़ में ज्यादा कोयला उत्पादन करने वाली खदानों में कुसमुंडा का नाम भी शामिल है। ऐसे में भुविस्थापितों के द्वारा आगामी दिनों में कोयला खनन पर बाधा उत्पन्न करने की चेतावनी देना प्रबंधन के लिए सिरदर्द ही है। इस तरह की परिस्थितियों से बचने के लिए एसईसीएल क्या उपाय करता है, इस पर सभी की नजर टिकी हुई है।