acn18.com कोरबा / कोरबा में एसईसीएल के वित्तीय प्रबंधन से संचालित हो रहे डीएवी स्कूल की चर्चा इन दिनों हर्षिका श्रीवास्तव के एडमिशन के लिए एसईसीएल के अधिकारी द्वारा 50 हजार की रिश्वत मांगने को लेकर हो रही है। उसके परिजन अपने दावे पर अडिग हैं। वही स्कूल की प्राचार्य को इस बारे में कुछ पता नहीं है और कंपनी के जनसंपर्क अधिकारी प्रकरण को पूर्वाग्रह से ग्रसित बता रहे हैं।
कोरबा में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की सुभाष ब्लॉक कॉलोनी क्षेत्र में दयानंद एंग्लो वैदिक स्कूल का संचालन पिछले कुछ वर्षों से किया जा रहा है जिसमें नर्सरी से 12वीं की कक्षाएं संचालित हैं। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के द्वारा इस विद्यालय के लिए भवन बनकर दिया गया और दूसरी सभी सुविधा भी मुहैया कराई गई हैं। इसमें एडमिशन के लिए पहली प्राथमिकता एसईसीएल से जुड़े लोगों के बच्चों के लिए है। शेष उपलब्ध सीटों के लिए सामान्य लोग आवेदन कर सकते हैं। शिक्षण सत्र 2024 के दौरान हर्षिका श्रीवास्तव के एडमिशन के लिए उसके परिजन ने विद्यालय में आवेदन किया था। दावा किया गया कि हर स्तर पर इसे स्वीकार कर लिया गया। बाद में एडमिशन देने से इनकार करने के साथ सीजीएम से मिलने की बात कही गई। जहां पर आवेदक से ₹50000 की मांग की गई। इस मामले को लेकर विद्यालय की प्राचार्य अनामिका भारती से जानकारी ली गई तो उन्होंने इस पर अनभिज्ञता जताई है और बताया कि प्रवेश की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हैं। अभिभावकों के सामने लॉटरी निकाली जाती है ।
जबकि साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर सेनिश चंद्र ने इस मामले को झूठ बताने के साथ पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया। अधिकारी ने बताया कि इस बारे में संबंधित जानकारी कोरबा एरिया से मंगवाई जाएगी।
इस मामले में वास्तविक तथ्य की जानकारी आवेदक और रिश्वत मांगने वाले के अलावा शायद ही किसी को हो। लेकिन सच्चाई यही है कि कोरबा जिले के जाने-माने कुछ स्कूलों में एडमिशन के लिए भारी भरकम रुपए ऐंठने का काम काफी समय से चल रहा है। स्टेटस सिंबल के लिए अनेक मामलों में लोग रुपए देना स्वीकार भी कर लेते हैं। ऐसा करने के साथ में सोसाइटी को दिखाते हैं कि उनके बच्चे कोरबा के किस स्कूल में पढ़ रहे हैं। बहरहाल, DAV एसईसीएल से जुड़े इस नए मामले ने हर तरफ सुर्खियां बटोरनी जारी रखी है। क्योंकि यह मामला एक अधिकारी से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है इसलिए कोई भी खुलकर बोलने की स्थिति में नहीं है। देखना होगा कि प्रबंधन के पास आगे क्या कुछ जानकारी पहुंचती है और वह कहां-कहां इसे साझा करता है