acn118.com नई दिल्ली। दिल्ली के गैस चैंबर में तब्दील होने से यहां की हवा सेहत के लिए घातक बनी चुकी है। इससे आंखों में जलन, सिर में दर्द व गले में खराश हर कोई महसूस करने लगा है।
अस्पतालों की इमरजेंसी में सांस के मरीज 30 प्रतिशत बढ़ गए हैं। अगले कुछ दिनों में मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है। लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अरविंद कुमार ने कहा कि एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से अधिक पहुंच जाए, तो ऐसी हवा सांस लेने लायक नहीं रहती।
40-50 सिगरेट के बराबर फेफड़ों में पहुंच रहा धुआं
दिल्ली में कुछ जगहों पर वातावरण में पीएम 10 का स्तर 800 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक पहुंच गया है। ऐसी स्थिति में धूम्रपान नहीं करने वाले व्यक्ति के फेफड़े में भी सांस के जरिये 40 से 50 सिगरेट पीने के बराबर धुआं पहुंच रहा है।
अपोलो अस्पताल के सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश चावला ने कहा कि सांस के पुराने मरीजों की बीमारी बढ़ गई है। कई मरीज अस्थमा के अटैक के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं।
अस्पताल में करीब 30 प्रतिशत मरीज बढ़ गए हैं। मरीजों की दवाओं का डोज बढ़ाना पड़ रहा है। शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. विकास मौर्या ने कहा कि खांसी, बलगम के साथ मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं।
प्रदूषण में बाहर न खेलें बच्चे
प्रदूषण बढ़ने के कारण इमरजेंसी और ओपीडी में पहले की तुलना में सांस की बीमारी से पीड़ित होकर अधिक बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। वैसे हर उम्र के लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं। मौजूदा समय में प्रदूषण के बीच बच्चों को भी खुले मैदान में नहीं खेलना चाहिए।-एम्स के पीडियाट्रिक विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके काबरा
रखें इन बातों का ख्याल
सुबह और शाम को न करें सैर।
बच्चे व बुजुर्ग बेवजह घर से बाहर न निकलें। घर में ही रहें।
खिड़कियों और दरवाजे बंद रखें।
घर से बाहर निकलने पर मास्क का इस्तेमाल करें।
सांस की परेशानी होने पर भाप ले सकते हैं और डाक्टर को दिखाएं।
गले में खराश होने पर गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करें।
खानपान में हरी सब्जियों व मौसमी फलों का इस्तेमाल करें।