spot_img

आदिवासी इलाकों में धर्मांतरण: मौत के बाद नसीब नहीं हो पा रही एक गज जमीन, कई मामले हैं लटके

Must Read

Acn18.com/छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले के आदिवासी क्षेत्रों में इन दिनों धर्मांतरण का मुद्दा काफी सुर्खियों में चल रहा है। इस मामले को लेकर कई मामले कोर्ट में चल रहे है। तो कइयों ऐसे भी मामले हैं, जहां धर्मांतरित लोग अपनों के शवों को दफनाने के लिये अपने ही जमीन के गज का उपयोग नहीं कर पा रहे है। ऐसा ही एक मामला फिर से सुर्खियों में देखने को मिला है। जहां लोहंडीगुड़ा के दाबपाल में रहने वाली एक महिला की मौत के बाद वहां के निवासरत आदिवासी समाज के द्वारा धर्मांतरित महिला के शव को दफनाने नहीं दे रहे थे। जिसके बाद गांव और परिवार के लोगों ने महिला के शव को बेलर गांव के जमीन में दफना दिया। जहां इस बात से नाराज आदिवासी समाज और धर्मांतरित लोगों में विवाद के बाद झूमाझटकी भी हुई। लेकिन पुलिस ने पूरे मामले में दोनों पक्षों को शांत भी कराया। लेकिन स्थिति तनावपूर्ण देखी गई।बताया जा रहा है कि लोहंडीगुड़ा से सटे दाबपाल में रहने वाले एक परिवार ने अपने मूल धर्म को छोड़कर विशेष समुदाय में प्रवेश ले लिया था, जिसके बाद अचानक उसी परिवार की एक महिला की मौत हो गई। परिवार के लोगों ने पहले महिला के शव को दाबपाल में ही दफनाने की बात कही। लेकिन बाद में अचानक से 100 से अधिक विशेष समुदाय के लोगों ने महिला के शव को दाबपाल की जगह बेलर गांव ले आये।मामले की जानकारी लगते ही आदिवासी समाज के लोग भी मौके पर पहुंच गए। साथ ही पुलिस को भी सूचना दे दिया गया। जहां दोनों पक्षों में मामले को लेकर विवाद हुआ। साथ ही झूमाझटकी भी हुआ। एक ओर जहां विवाद बढ़ रहा था। वहीं दूसरी ओर विशेष समुदाय के लोगों ने मृत महिला के शव को दफना दिए। मौके पर पहुंचे पुलिस और तहसीलदार ने घंटो की मशक्कत के बाद भीड़ को शांत कराया गया।

- Advertisement -

15 दिन से एक शव है मेकाज के पीएम घर में
बताया जा रहा है कि दरभा थाना क्षेत्र के ग्राम छिंदबहर में रहने वाले एक विशेष समुदाय के एक व्यक्ति की मौत हो गई। गांव वालों के विरोध के चलते शव को मेकाज के पीएम घर मे सुरक्षित रखा गया है। जहां 15 दिन गुजरने के बाद भी शव को दफनाने को लेकर किसी भी तरह से हाईकोर्ट से अनुमति नहीं मिलने के कारण शव अभी भी मेकाज के पीएम घर में रखा हुआ है।

ऐसा ही एक मामला कुछ माह पहले देखने को मिला था, जहाँ मेकाज में पिता की मौत होने के कारण वह अपने गाँव मे दफनाना चाहता था, लेकिन गाँव वालों के विरोध के चलते शव को 2 दिनों तक मेकाज में ही रखा गया था, जिसके बाद मृतक के बेटे ने मामले को लेकर बिलासपुर के हाई कोर्ट में अर्जी दी, जहाँ रातोंरात हाई कोर्ट ने मृतक के बेटे के पक्ष में फैसला देते हुए शव को उसकी ही जमीन में दफनाने की अनुमति दी,

एक गज जमीन को लेकर चल रहा है विवाद 
लंबे समय से अपने मूल धर्म को छोड़कर विशेष समुदाय में शामिल होने के बाद जब इनकी मौत हो जाती है, तो इन विशेष समुदाय के लोगों को अपनी ही जमीन में दफनाने के लिए लगने वाले एक गज की जमीन तक उन्हें नसीब नही हो पाती है, ऐसे में आदिवासी समाज का कहना है कि अपने मूल धर्म को छोड़कर दूसरे समुदाय में जाने के कारण वापस अपने समुदाय में आकर अपने रीति रिवाज से अंतिम संस्कार करने की बात कही जाती है।

377FansLike
57FollowersFollow
377FansLike
57FollowersFollow
Latest News

स्टेट हाईवे दहलाने की नक्सलियों की साजिश को जवानों ने किया नाकाम, 50 किलो का आईईडी बरामद

Acn18.com/बीजापुर में  सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के स्टेट हाइवे को दहलाने की योजना को विफल करते हुए आवापल्ली से बासागुड़ा...

More Articles Like This

- Advertisement -