देश के सबसे अमीर मंदिर तिरुपति के बोर्ड का अध्यक्ष वहां के विधायक करुणाकर रेड्डी को बनाए जाने के बाद विवाद पैदा हो गया है। वजह ये है कि करुणाकर रेड्डी का परिवार ईसाई धर्म को मानता है। आंध्र सरकार के इस फैसले पर तेलुगुदेशम पार्टी (TDP), भाजपा और कई विपक्षी पार्टियों ने सवाल उठाया है।
TDP के प्रदेश सचिव बुच्ची राम प्रसाद ने पूछा कि हिंदू धर्म में आस्था न रखने वाले व्यक्ति को मंदिर का अध्यक्ष कैसे बना सकते हैं। सबको पता है कि वे ईसाई धर्म मानते हैं, उनके ईसाई लोगों से संबंध हैं। उनकी बेटी की शादी ईसाई रीति-रिवाजों से हुई थी।
भाजपा बोली- इस पद का राजनीतिक इस्तेमाल दुर्भाग्यपूर्ण
वहीं, राज्य की भाजपा इकाई की अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी ने भी कहा कि हिंदू धर्म में विश्वास रखने वाले को ही इस पद पर बैठाना चाहिए। सरकार के फैसले से साबित होता है कि इस पद को सरकार राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है।
तिरुपति बोर्ड में एग्जीक्यूटिव अफसर रह चुके भाजपा नेता और पूर्व चीफ सेक्रेटरी आई वाई आर कृष्णा राव ने भी सरकार के फैसले को गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि TTD ट्रस्ट बोर्ड का अध्यक्ष पद राजनीतिक नियुक्ति बनकर रह गया है।
राज्य सरकार ने अपने फैसले को जायज ठहराया
YSRCP ने अपने फैसले को जायज ठहराया है। पार्टी विधायक श्रीकांत रेड्डी ने कहा कि करुणाकर रेड्डी की धार्मिक आस्था को लेकर कोई कॉन्ट्रोवर्सी नहीं है। विपक्षी दल बिना बात के मुद्दा बना रहे हैं। तिरुपति के लोग करुणाकर रेड्डी और उनके धर्म को लेकर सब जानते हैं।