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भाजपा प्रत्याशी पर कांग्रेस नेता श्याम सुंदर सोनी ने लगाए गंभीर आरोप

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भू-विस्थपितों को छोडा भगवान भरोसे

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acn18.com / छत्तीसगढ़ में एक पुरानी कहावत हैं ’गोदरी ओढ़कर घी पीना’ इसे चरितार्थ कर रहे हैं भाजपा प्रत्याशी। यह दावा नगर निगम के सभापति श्याम सुंदर सोनी ने किया हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा हैं कि महापौर पद से हटे 15 साल होने के बाद भी निगम की सुविधा का लाभ ले रहे हैं। इसी तरह एनटीपीसी से भू-विस्थापित के नाम उनका पूरा परिवार लाभ उठा रहा हैं। उन्हीं के वार्ड चारपारा कोहडिया में भू-विस्थापित मुआवजा नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं लेकिन उनकी समस्या का समाधान करने के लिए भाजपा प्रत्याशी के पास समय नहीं हैं। वैसे भी कहा गया हैं कि जहां अपना स्वार्थ सिद्ध हो रहा हैं तो फिर दूसरे की चिंता क्यों करें? आखिर ऐशो आराम की जिंदगी जी रहे हैं।
श्री सोनी ने आरोप लगाया कि महापौर पद से हटने के 15 साल बाद भी निगम के वाहन चालक का उपयोग उनके द्वारा किया जा रहा हैं। महापौर रहने के दौरान मिल रही सुविधाओं का मोह त्याग नहीं पा रहे हैं। ठेले-गुमटी वालों को सब्जबाग दिखाकर उनकी रोजी-रोटी छीन ली लेकिन उन्हें कोई ठेला या गुमटी नहीं दिया गया। इसी तरह एनटीपीसी से भू-विस्थापित के नाम पर पूरी सुविधा ले रहे हैं। परिवार के लिए सब कुछ इंतजाम कर लिया। लेकिन गांव के भू-विस्थापितों के लिए कुछ नहीं किया।

उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के अघोषित दामाद बन गए हैं, लेकिन बस्ती वासियों के लिए बुिनयादी सुविधा भी नहीं उपलब्ध करा पाए हैं। 5 साल महापौर, उसके पहले पार्षद, फिर कटघोरा विधायक और वर्तमान में उनके भाई भी पार्षद हैं, लेकिन नतीजा ढ़ांक के तीन पात हैं। कोहडिया वासी भू-विस्थापित कई ऐसे परिवार हैं जो आज भी मुआवजा के लिए दर-दर भटक रहे हैं।

नगर निगम सभापति ने कहा कि जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए भू-विस्थापितों को भुला दिया और भू-विस्थापित के रूप में एनटीपीसी से भरपूर लाभ उठाते रहे हैं। इसका उदाहरण देते हुए कहा कि एनटीपीसी में दुकान, मकान, प्लांट में राखड़ ईंट बनाने का भट्ठा संचालित किया जा रहा हैं। शिक्षा की सुविधा भी पूरे परिवार के द्वारा ली जा रही हैं, जिसमें एनटीपीसी में संचालित डीपीएस स्कूल में पूरे परिवार के बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही हैं और व्यक्तिगत सुविधाएं भी उठाई जा रही हैं। इसके विपरीत यहां रह रहे भू-विस्थापितों की मांग के लिए  आवाज उठाना तो दूर उनकी समस्या का समाधान करना भी उचित नहीं समझा। एक जनप्रतिनिधि होने के नाते उन्हें अपने भू-विस्थापित ग्राम वासियों की मदद के लिए आगे आना था, लेकिन उसके बाद भी उन्होने अपने फर्ज से मुंह मोडते हुए सिर्फ अपने स्वार्थ का ध्यान रखा हैं। लंबे अरसे से यहां के भू-विस्थापित मुआवजा और अन्य मांगों को लेकर अंदोलन करते हुए दर-दर भटक रहे हैं। इन भू-विस्थापितों की लड़ाई को देखते हुए कांग्रेस उम्मीदवार जयसिंह अग्रवाल ने एनटीपीसी प्रबंधन व प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा कर समाधान निकालने का प्रयास किया लेकिन उसी रास्ते से गुजरने वाले भाजपा प्रत्याशी लखनलाल देवांगन को इनका दुःख दर्द नजर नहीं आता हैं क्योंकि उन्हें तो सारी सुविधा मिल रही हैं।

उन्होंने कहा कि शहर के अनेक स्थानों पर महापौर रहने के दौरान भाजपा प्रत्याशी ने गरीबों का ठेला-गुमटी यह कहकर हटवाया कि उन्हें नया लोहे का ठेला बनाकर दिया जाएगा। ठेला-गुमटी बनवाया भी दर्री, कोरबा, टी.पी. नगर, बाल्को व कुसमुण्डा क्षेत्र में स्थापित भी किया गया। स्थापित तो किया गया लेकिन किसी एक ठेले का भी आबंटन नहीं किया गया। वे सभी ठेले आज जंग लगने के कारण उपयोग के लायक नहीं रह गया। इनके निर्माण में लाखों रूपये का गोलमाल किया गया। इसी तरह कर्नाटक के बैंगलोर शहर जाकर वहा की पुलिस व्यवस्था को देखने के बाद कोरबा शहर में निगरानी चौकी का निर्माण अपने महापौर कार्यकाल के दौरान भाजपा प्रत्याशी ने करवाया। उक्त निगरानी चौकी बना तो दी गई लेकिन उसका कोई उपयोग नहीं हुआ बल्कि सफेद हाथी ही बनकर रह गया। कई स्थानों पर अभी भी लगा होने के कारण शहर के सौंदर्यीकरण में बाधा खड़ी कर रखा हैं। इसमें भी लाखों का भ्रष्टाचार किए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

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